Saturday, 10 November 2018

नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था का बंटाधार किया

दो वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक आठ नवम्बर को नोटबंदी की घोषणा की थी। इसके दुष्परिणाम देश के सामने तब से आ रहे हैं। सरकार और रिजर्व बैंक नोटबंदी के असर को लगातार छिपाती रही है और प्रधानमंत्री व केंद्रीय मंत्री नोटबंदी के फायदे गिनाते थकते नहीं हैं। पर अब इसके कुछ घातक नतीजे सार्वजनिक करने पर रिजर्व बैंक मजबूर हो गया है। एक आरटीआई (सूचना के अधिकार) के तहत भारतीय रिजर्व बैंक ने जानकारी दी है कि नोटबंदी के बाद वापस आए कुल 15,310.73 अरब रुपए मूल्य के विमुद्रित बैंक नोटों को नष्ट करने की प्रक्रिया मार्च (इसी वर्ष) में आखिर खत्म हो चुकी है। हालांकि केंद्रीय बैंक ने आरटीआई कानून के एक प्रावधान का हवाला देते हुए यह जाहिर करने में असमर्थता जताई है कि 500 और 1000 रुपए के इन बंद हो चुके नोटों को नष्ट करने में सरकारी खजाने से कितनी रकम खर्च हुई। आरटीआई के तहत यह भी बताया गया है कि आठ नवम्बर 2016 को जब नोटबंदी की घोषणा की गई तब आरबीआई के सत्यापन और मिलान के मुताबिक 500 और 1000 रुपए के कुल 15,417.93 अरब रुपए मूल्य के नोट चलन में थे। विमुद्रीकरण के बाद इनमें से 15,3473 अरब रुपए मूल्य के नोट बैंकिंग प्रणाली में लौट आए। आरटीआई के जवाब से स्पष्ट है कि नोटबंदी के बाद केवल 107,20 अरब रुपए मूल्य के विमुद्रित नोट बैंकों के पास वापस नहीं आ सके। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर देश की अर्थव्यवस्था को तबाह करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कहा कि नोटबंदी की दूसरी वर्षगांठ पर उन्हें आम जनता से माफी मांगनी चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक अब भी पूरी सच्चाई नहीं बता रहा। आरबीआई ने यह नहीं  बताया है कि बंद हो चुके नोटों को नष्ट करने और नए नोटों को छापने में कितनी रकम खर्च हुई? कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि दो वर्ष पूर्व मोदी ने आठ नवम्बर को अचानक नोटबंदी की घोषणा करके आम आदमी को भारी दिक्कत में डाल दिया था, जिसके कारण बैंकों के बाहर खड़े 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। उन्होंने कहा कि 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने के घोषित उद्देश्य पूरी तरह से विफल हो गए। कांग्रेस नेता ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक और मोदी सरकार का मौजूदा टकराव भी इस नोटबंदी का एक परिणाम है। सरकार ने नोटबंदी के तीन मकसदöकाला धन, नकली मुद्रा का उन्मूलन और आतंकवाद का वित्तपोषण खत्म करना घोषित किया था। लेकिन इनमें से एक भी मकसद पूरा नहीं हुआ और सिवाय आम आदमी को मुसीबतों में डालने के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ। सरकार की गलत नीतियों के कारण आज किसान, मजदूर, छोटे कारोबारी सभी भारी संकट में हैं। इसका प्रमुख कारण है नोटबंदी।

-अनिल नरेन्द्र

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