Wednesday, 21 November 2018

पंजाब को फिर से अस्थिर करने के प्रयास

पंजाब में हाई अलर्ट के बावजूद अमृतसर के राजासांसी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से कुछ दूरी पर स्थित अदलिवाला गांव में निरंकारी भवन पर रविवार सुबह चल रहे समागम के दौरान किया गया ग्रेनेड हमला पंजाब को एक बार फिर अशांत करने की अलगाववादियों की सुनियोजित मंशा हो सकती है, लिहाजा इस मामले को बेहद गंभीरता से लेने की जरूरत है। ऐसी घटनाएं वही तत्व अंजाम देते हैं जो निर्दोष-निहत्थे लोगों की जान लेकर आतंक और नफरत का माहौल पैदा करने का इरादा रखते हैं। चूंकि पंजाब में ऐसे तत्व रह-रह कर सिर उठाने की कोशिश करते रहे हैं इसलिए यह सर्वथा उचित है कि पंजाब पुलिस अदलिवाला गांव के निरंकारी भवन में अंजाम दी गई इस कायराना वारदात को आतंकी हमले के रूप में ले रही है। इतनी जल्दी भले ही किसी निष्कर्ष पर न पहुंचा जा सके, पर समागम में मौजूद दो-ढाई सौ लोगों को निशाना बनाकर किए गए इस हमले को किसी व्यक्ति पर हमला भी नहीं माना जा सकता। जाहिर है इसके जरिये माहौल खराब करने का नापाक इरादा था। हमलावरों को पता था कि निरंकारी भवन में रविवार की सुबह बहुत भीड़ होती है, इसलिए उन्होंने यह दिन या मौका चुना। पुलिस के मुताबिक निरंकारी भवन में सत्संग चल रहा था। गेट पर दो सेवादार गगनदीप सिंह और अर्जुन तैनात थे। करीब 11.15 बजे बाइक पर पगड़ी पहने दो व्यक्ति आए। वह पंजाबी बोल रहे थे। नकाबपोश दोनों हमलावरों ने सेवादारों की कमर पर पिस्तौल रखी। इसके बाद एक ने हॉल में 100 मीटर अंदर जाकर स्टेज की तरफ ग्रेनेड फेंका। प्रत्यक्षदर्शी गुरभाग सिंह ने बताया कि ग्रेनेड कान के पास से निकला और विस्फोट हो गया। इसी बीच हमलावर फरार हो गए। पंजाब में निरंकारी और चरमपंथियों के टकराव से ही पंजाब में आतंकवाद शुरू हुआ था। खात्मे के बावजूद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से बब्बर खालसा के चीफ वधावा सिंह, खालिस्तान जिन्दाबाद फोर्स के रंजीत सिंह नोटा आतंकवाद को फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। पंजाब पुलिस और साथ ही राज्य सरकार को इसलिए भी कहीं अधिक सतर्पता बरतने और इस घटना की सघन जांच करने की जरूरत है, क्योंकि करीब 40 साल पहले इन्हीं स्थितियों में आतंकवाद का पंजाब में उभार हुआ था। यह महज इत्तेफाक नहीं हो सकता कि तब भी निरंकारी निशाने पर थे और गत दिवस भी उन्हें ही आतंकित किया गया। महज तीन दिन पहले पंजाब पुलिस ने यह खुफिया सूचना जारी की थी कि राज्य में जैश--मोहम्मद के कुछ आतंकवादी घुस आए हैं। उसके अगले दिन खूंखार आतंकी जाकिर मूसा को अमृतसर में देखे जाने की बात भी कही गई। शहर में मूसा के पोस्टर भी लगाए गए थे। इसी तरह पिछले सप्ताह पठानकोट जिले के माधोपुर में कुछ लोगों ने हथियार के बल पर एक वाहन लूट लिया था। ऐसे में लाजिमी तो यही था कि सभी धार्मिक और संवेदनशील जगहों पर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी जाती। अगर सुरक्षा व्यवस्था सही होती तो मोटर साइकिल सवार नकाबपोश हथियार का डर दिखाकर निरंकारी भवन का दरवाजा खुलवा कर यूं भीड़ पर ग्रेनेड फेंकने में सफल नहीं हो पाते। चन्द दिनों पहले ही सेना प्रमुख ने पंजाब में नए सिरे से आतंकवाद को उभारने की कोशिशों पर देश को आगाह किया था। यदि उनके अंदेशे को गंभीरता से लिया गया होता तो शायद इस खौफनाक हमले को रोका जा सकता था जिसमें तीन लोगों की जान गई और करीब 20 लोग घायल हो गए।

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