दसवीं महिला बॉक्सिंग
चैंपियनशिप के आखिरी दिन शनिवार को स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था। यह पहला मौका था जब
इतनी बड़ी संख्या में दर्शक स्टेडियम तक पहुंचे थे। वजह साफ थी। हर कोई अपनी पसंदीदा
बॉक्सर एमसी मैरीकॉम को गोल्ड जीतते देखना चाहता था। मुकाबला कड़ा था। सामने थी यूकेन
की 13 साल छोटी हाना ओखोट। मैरीकॉम ने अपने
दशकों को निराश नहीं किया और हाना ओखोट को 5-0 से हराकर गोल्ड
मैडल जीत लिया। मैरीकॉम ने टूर्नामेंट के सभी चार मुकाबले 5-0 से जीते। तीन बच्चों की मां, 35 साल की मैरीकॉम ने गोल्ड
जीतकर इतिहास रच दिया। यह उनका छठवां गोल्ड मैडल है। वर्ल्ड चैंपियनशिप में छह गोल्ड
जीतने वाली वह दुनिया की पहली महिला बॉक्सर हैं। जीत के बाद मैरी ने कहाöमैं इमोशनल हो रही हूं। अब 2020 ओलंपिक की तैयारी। वहां
मैरी वेट कैटेगरी नहीं है। 57 किलो में खेलना होगा। उम्मीद है
कि मैं क्वालीफाई कर लूंगी। वहां गोल्ड जीतना मेरा सपना है। आठ साल बाद वर्ल्ड चैंपियनशिप
में भारत को गोल्ड, 2010 में भी मैरीकॉम ने ही गोल्ड दिलाया था।
सोनिया फाइनल में हारीं, भारत ने इस चैंपियनशिप में एक गोल्ड
सहित चार मैडल जीते। इस वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 66 देशों
के खिलाड़ी उतरे। 21 देशों ने मैडल जीता। 13 देशों के खिलाड़ी फाइनल में पहुंचे। मैंने कई मुकाबले देखे, मैरीकॉम का फाइनल भी देखा। इस चैंपियनशिप के आयोजकों, आर्गेनाइजेशन वालों को सफल टूर्नामेंट पर बधाई देना चाहता हूं। अरेंजमेंट,
बॉक्सिंग रिंग इत्यादि विश्व स्तरीय थे। ऐसा नहीं लग रहा था कि यह दिल्ली
के स्टेडियम में प्रतियोगिता चल रही है या अमेरिका के लास वेगास में। मुकाबला जीतने
के बाद मैरीकॉम के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। आखिर आठ साल बाद उन्होंने स्वर्ण
पदक जीता था। यह उनकी और उनके परिवार की मेहनत, संघर्ष और त्याग
का ही तो प्रतिफल है। मैरीकॉम अनब्रेकेबल है, उन्होंने
18 साल के करियर में यह बार-बार साबित किया है।
खिताबी मुकाबले से ऐन पहले मैरी की तबीयत खराब हो गई थी। संसद सदस्य और तीन बच्चों
की पैंतीस वर्षीय मैरीकॉम तेज दर्द से हलकान थीं। टीम प्रबंधन असमंजस में पड़ गया कि
उन्हें मुकाबले में उतारा जाए या नहीं। लेकिन दवाएं लेकर फिर मुक्केबाज की तरह मैरी
रिंग में उतरकर दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाते हुए हाना ही नहीं बल्कि दर्द को भी परास्त कर
मुकाबले के दौरान जाहिर तक नहीं होने दिया कि दर्द से उन्हें परेशानी है। मैरीकॉम की
जीत का मायना यह भी है कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की डगर में अग्रसर
अपने देश की बच्चियों के लिए मणिपुर और भारत की आइकॉन और अर्जुन अवार्ड, पद्मश्री, राजीव रत्न पुरस्कार और पद्मभूषण से नवाजी
जा चुकी मैरीकॉम प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं। मैरी महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गई हैं।
-अनिल नरेन्द्र
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