दीवाली आ गई है। पटाखों पर बहस कई दिनों से हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट पटाखों से होने वाली ध्वनि और वायु प्रदूषण पर सख्त है। इस बार तो कोर्ट
ने देशभर में पटाखे चलाने के लिए दो घंटे की समयावधि तय की है। 23 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका
पर सुनवाई करते हुए कहा कि देशभर में सिर्प आठ से 10 बजे के बीच
ही पटाखे फोड़े जाएं। चाहे दीवाली हो या अन्य त्यौहार हों या शादी-ब्याह जैसा कोई आयोजन। मगर इस सख्ती को परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं में
हस्तक्षेप बताया जा रहा है। इसलिए इस पर विवाद है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दिल्ली
के छह माह के अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और 14 माह की जोया राव भसीन द्वारा दायर याचिका पर किया गया। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास
में शायद सबसे कम उम्र के याचिकाकर्ता बने। याचिका में यह कहते हुए पटाखों पर रोक की
मांग की गई थी कि जब प्रदूषण की बात आती है तो हम (बच्चे)
इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। हमें फेफड़ों से जुड़ी बीमारी,
दमा, कफ आदि होने का खतरा ज्यादा होता है। इतना
ही नहीं, ध्वनि प्रदूषण से नर्वस सिस्टम के विकास में भी बाधा
हो सकती है। याचिका में इनकी ओर से यह भी कहा गया था कि इसका असर हम पर ही नहीं,
हमारी आने वाली पीढ़ियों पर भी होगा। बच्चों की याचिका में
2014 की एक रिपोर्ट का भी उल्लेख था, जिसमें हवा
की गुणवत्ता के मामले में दिल्ली को दुनिया के 91 देशों के
1600 शहरों में सबसे खराब बताया गया था। याचिका से परे एक अन्य रिपोर्ट
में जिक्र मिलता है कि नवम्बर 2016 में दिल्ली में वर्ल्ड हैल्थ
आर्गेनाइजेशन के मानकों से 29 गुना ज्यादा प्रदूषण था। यही कारण
है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में बच्चों की याचिका पर एक बड़ा
फैसला दिया और दिल्ली-एनसीआर के पटाखों की बिक्री पर रोक लगा
दी। दिल्ली-एनसीआर में तो गाजीपुर थाने में मयूर विहार फेज-3
निवासी दमनदीप के खिलाफ पुराने पटाखे चलाने की पहली एफआईआर दर्ज भी हो
चुकी है। इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि वायु प्रदूषण का स्तर दिल्ली में चौंकाने
वाला हो चुका है और लड़ियों इत्यादि से इसमें सिर्प इजाफा ही होगा। इसलिए हमें ऐसे
पटाखों से परहेज करना होगा जो प्रदूषण लेवल बढ़ाते हैं। पर वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश
के बाद जिस तरह पुलिस ने सदर बाजार के दुकानदारों के पटाखे लाइसेंस जारी करने में सख्ती
की है, उससे लग रहा है कि इस बार दीवाली पटाखों के बिना ही मनेगी।
दुख की बात यह भी है कि अभी तक ग्रीन पटाखों का कुछ अता-पता नहीं
है। देश के बाकी हिस्सों में सामान्य पटाखें बेचे और फोड़े जा सकते हैं। जो सामान्य
पटाखे बना लिए गए हैं
उन्हें दिल्ली-एनसीआर को छोड़कर किसी भी हिस्से में बेचा जा सकता
है। विदेशी पटाखों व अवैध पटाखों से जानमाल का नुकसान तथा वातावरण प्रदूषित होता है।
इसलिए मैं सभी से अपील करता हूं कि आप दीप जलाएं और ऐसे पटाखों को फोड़ें जिससे न तो
वायु प्रदूषण हो और न ही ध्वनि प्रदूषण। आप सबको दीवाली मुबारक।
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