Monday 2 September 2019

ब्रेग्जिट को लेकर ब्रिटेन में मचा घमासान

यूरोपीय यूनियन से अलगाव (ब्रेग्जिट) से पहले प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की सिफारिश पर महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने ब्रिटेश संसद को निलंबित कर दिया है। संसद का आगामी सत्र नौ सितम्बर से शुरू होने वाला था, लेकिन अब उसके लिए महारानी का परंपरागत भाषण 14 अक्तूबर को होगा। संसद के निलंबित होने के बाद ब्रेग्जिट को लेकर सरकार अब मनमुताबिक फैसला ले सकती है। वह बिना शर्त या शर्तों के साथ यूरोपीय यूनियन से अलग हो सकती है। जाहिर हो गया है कि सरकार ब्रेग्जिट से संबंधित प्रस्ताव संसद में पेश करने की इच्छुक नहीं है। दरअसल संसद में यह प्रस्ताव पहले भी तीन बार गिर चुका है। सरकार के प्रस्ताव को संसद का समर्थन न मिलता देख प्रधानमंत्री जॉनसन ने अब वहां न जाकर सीधे यूरोप से बिना शर्त अलगाव के संकेत दिए हैं। जॉनसन ने कहा है कि संसद का स्थगन 14 अक्तूबर तक बढ़ाया जा सकता है। इससे साफ है कि ब्रेग्जिट के मसले पर संसद को दूर रखा जाएगा। संसद के निलंबन को मंजूरी देने के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। ब्रेग्जिट विरोधी कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को लंदन, कैम्ब्रिज, बर्मिंघम, डाल्टन समेत 15 शहरों में रैलियां कीं। इनमें 80 हजार लोग शामिल हुए। लोगों ने संसद से लेकर प्रधानमंत्री आवास तक का घेराव किया। इससे पहले ब्रिटिश संसद बुधवार को लगातार 337 दिन तक चलने के बाद स्थगित हो गई। वहीं ब्रिटेन में 13 लाख लोगों ने ऑनलाइन कैंपेन शुरू कर प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से यह फैसला वापस लेने को कहा है। ब्रेग्जिट डील पर संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स का सत्र 21 जून 2017 से शुरू हुआ था। तब थेरेसा मे प्रधानमंत्री थीं। 24 जुलाई को उन्होंने इस्तीफा दिया। पर सत्र रुका नहीं। फिर जॉनसन प्रधानमंत्री बने। जॉनसन का कहना है कि 74 साल में इस बार सबसे ज्यादा संसद चली है। अब काम करना है, इसलिए सत्र रोका गया है। ब्रिटेन को 31 अक्तूबर तक डील या बिना डील के यूरोपीय यूनियन से निकलना है। संसद 10 सितम्बर से 14 अक्तूबर तक निलंबित रहेगी। साल 2016 में ब्रिटेन में ब्रेग्जिट पर जनमत संग्रह हुआ था। करीब 52 प्रतिशत वोटरों ने ब्रेग्जिट का समर्थन और 48 प्रतिशत वोटरों ने विरोध किया था। ब्रेग्जिट को लेकर ब्रिटेन पूरी तरह से बंट गया है पर प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ब्रिटेन को यूरोपीय यूनियन से हटाने के लिए वचनबद्ध है। इसी को लेकर वह प्रधानमंत्री बनाए गए। अब देखना यह होगा कि इतने भारी विरोध के बीच वह ब्रेग्जिट से अलगाव की प्रक्रिया को कैसे पूरा करते हैं। महत्वपूर्ण यह भी है कि अगर ब्रिटेन ब्रेग्जिट से हटता है तो उसका क्या प्रभाव ब्रिटेन पर पड़ेगा?

-अनिल नरेन्द्र

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