Friday, 6 September 2019

अपाचे यानि उड़ता हुआ टैंक वायुसेना में शामिल

दुनिया के सबसे ताकतवर और आधुनिक एएच-64ई अपाचे हेलीकॉप्टर मिलने से विश्व की चौथी सबसे ताकतवर एयरफोर्स, भारतीय वायुसेना की ताकत और बढ़ गई है। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ की मौजूदगी में पठानकोट में वायुसेना के बेड़े में आठ आधुनिक एएच-64ई लड़ाकू हेलीकॉप्टर शामिल हुए। अपाचे दुनिया का सबसे खतरनाक मल्टीरोल फाइटर हेलीकॉप्टर है। हाई क्वालिटी नाईट विजन सिस्टम होने से दुश्मन को अंधेरे में भी ढूंढ लेता है। एक मिनट में 1208 टारगेट साधने की क्षमता रखता है। इसमें 16 एंटी टैंक एजीएम-114 हेलफायर और स्ट्रिंगर मिसाइल हैं। हेलफायर टैंक, तोप, बीएमपी वाहनों को सेकेंडों में ध्वस्त कर सकती है। इसके अलावा हाइड्रो-70 अनगाइटेड मिसाइलें भी लगी हैं। यह 1200 राउंड वाली 30 एमएम चेन गन और फायर कंट्रोल राडार से लैस है। 360 डिग्री कवरेज के लिए नोज माउटेंड सेंसर है। माडर्न इलैक्ट्रानिक सिस्टम की वजह से अपाचे सबसे उन्नत युद्धक हेलीकॉप्टर माना जाता है। अमेरिका ने इराक के खिलाफ 1991 में और अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ युद्ध मे इसकी मदद ली थी। ओसामा बिन लादेन के खिलाफ ऑपरेशंन में भी अमेरिका ने इसी का इस्तेमाल किया था। भारत अपाचे इस्तेमाल करने वाला दुनिया का 14वां देश होगा। अमेरिक, इजरायल, जापान, मिस्र, नीदरलैंड्स, कुवैत, कतर, सऊदी अरब समेत कई देशों की एयरफोर्स में करीब 2200 अपाचे हेलीकॉप्टर तैनात हैं। यह हेलीकॉप्टर सिर्प हमला बोलने का काम ही नहीं करता, युद्ध स्थल की तस्वीरें खींचकर भी अपने एयरबेस पर ट्रांसमीट कर देता है। भारतीय वायुसेना में रूस के बने पुराने एमआई-36 हेलीकॉप्टरों की जगह लेने वाला अपाचे एक सम्पूर्ण युद्ध मशीन है, जिसकी जरूरत भारतीय वायुसेना को काफी पहले से ही थी। हालत यह है कि थोड़े दिन पहले खुद वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने याद दिलाया था कि उनके जांबाज आज भी 44 साल पुराने मिग उड़ रहे हैं, शीत युद्ध के दिनों का यह रूसी लड़ाकू विमान अपनी उपयोगिता खत्म कर चुका है, जिससे हादसों के कारण इसे उड़ता ताबूत जैसी उपमा तक से नवाजा जा चुका है। दूसरी ओर अपाचे हेलीकॉप्टर आतंकवाद की चुनौती से भरे इस दौर में इराक और अफगानिस्तान में बेहद कारगर साबित हुआ है। लिहाजा पश्चिमी सीमा की जटिल चुनौतियों और सीमा पर आतंकवाद के मद्देनजर अपाचे हेलीकॉप्टरों का भारत के लिए खास महत्व है। पुलवामा में इसी वर्ष सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत के लड़ाकू विमानों ने सीमा पार जाकर बालाकोट में आतंकी शिविरों को सफलतापूर्वक ध्वस्त किया था, उसी समय भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने की जरूरत महसूस की गई थी। अब अपाचे के आने से सरहद के नजदीक दुर्गम पहाड़ियों में आतंकी शिविरों पर ऑपरेशन को कारगर ढंग से अंजाम दिया जा सकेगा। कहा तो यह जाता है कि अपाचे हेलीकॉप्टर युद्ध के इतिहास में एक क्रांतिकारी कदम है, जिसे उड़ता टैंक भी कहा जा सकता है, जोकि जैसा भी मौसम हो दुश्मन के ठिकानों पर तबाही मचा सकता है। अपाचे के आने से और थोड़े दिनों में राफेल लड़ाकू विमान के भारतीय एयरफोर्स में शामिल होने से भारत की सैन्य स्थिति बहुत मजबूत होगी। एक और बात कि अभी तक हम रूसी सैन्य हथियारों पर निर्भर थे, अब अमेरिका ने भी अपने दरवाजे खोल दिए हैं। मोदी सरकार की दोनों मोर्चों पर यह उल्लेखनीय सफलता है। अपाचे हेलीकॉप्टर के आने से हम चीन और पाकिस्तान दोनों मोर्चों पर मजबूत हुए हैं।

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