Friday 6 September 2019

भारतीयों के स्विस खातों पर पड़े पर्दे उठने की संभावना

आखिरकार भारत और स्विटजरलैंड के  बीच बैंकिंग सूचनाओं के स्वत आदान-प्रदान के समझौते के प्रभावी होने के साथ ही स्विस बैंकों में जमा भारतीय नागरिकों के काले धन की जानकारी मिलनी शुरू हो जाएगी। स्विस बैंकों के खातों के रहस्य पर पड़े पर्दे के उठने की संभावना है। विदेशी बैंकों में खाता खोलकर गैर-कानूनी तरीके से धन जमा कराने वालों के नामों का पता लगाने और उस धन को वापस भारत लाने की मांग वर्षों से उठती रही है। अब उम्मीद की जा सकती है कि यह पता चल सकेगा कि वहां किन-किन भारतीयों के कितने पैसे जमा हैं? जिन लोगों ने पिछले साल वहां अपने खाते बंद करा लिए थे, वो भी इस व्यवस्था के तहत बच नहीं पाएंगे, क्योंकि उनकी जानकारी भी भारत सरकार को मिल जाएगी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानि सीबीडीटी ने इसे अहम कामयाबी बताया है और यह कहा है कि अब स्विस बैंक से जुड़ी गोपनीयता का दौर समाप्त हो जाएगा। हालांकि स्विस बैंक में भारतीय नागरिकों के खातों की जानकारी हासिल करने के लिए लंबे समय से प्रयास किए जा रहे थे, पर इन बैंकों के नियमों के मुताबिक इसके खाताधारियों के बारे में जानकारी साझा नहीं की जा सकती। यहां तक कि वहां की सरकार भी उस पर ऐसा करने का दबाव नहीं डाल सकती थी। पर स्विट्जरलैंड सरकार ने काले धन के मुद्दे को गंभीर मानते हुए नियमों में बदलाव कर बैंक सूचनाओं के आदान-प्रदान की प्रक्रिया के रास्ता खोल दिया है। काले धन के खिलाफ लड़ाई को इस कदम को काफी अहम माना जा रहा है। लेकिन स्विस बैंक की ओर से अपने कामकाज में पारदर्शिता लाने की प्रक्रिया पहले ही शुरू की जा चुकी है। यही कारण है कि इसी साल स्विस सरकार ने वहां काला धन रखने वाले दर्जनों भारतीय कारोबारियों के नाम उजागर किए थे और उन्हें नोटिस भी भेजा था। हालांकि भारत सरकार द्वारा वित्तीय एवं कर संबंधी गड़बड़ी के सबूत पेश करने पर स्विस सरकार वहां भारतीयों के बैंक खाते का ब्यौरा देती थी, लेकिन इस नई व्यवस्था के बाद यह सूचना उसके पास स्वत पहुंच जाएगी। दरअसल स्विट्जरलैंड सहित कई देशों के बैंकों में खाता खोलना बहुत आसान है। किसी भी देश का कोई भी नागरिक ऑनलाइन खाता खोल सकता है। ये बैंक अपने ग्राहकों के नाम-पता बगैरह को गोपनीय रखते हैं। वहां की सरकारों ने भी इन बैंकों को यह स्वायत्तता दी है। इसलिए दुनिया के तमाम देशों के ऐसे लोगों के लिए ये बैंक अपना काला धन छिपाने के सबसे मुफीद ठिकाने बनते गए। भारत के भ्रष्ट अधिकारियों, राजनेताओं और कारोबारियों आदि के लिए भी ये बैंक एक प्रकार से सुरक्षित तिजौरी साबित होते रहे हैं। मोदी सरकार भ्रष्टाचार पर पूरी तरह रोक लगाने को प्रतिबद्ध है, इसलिए कर चोरी और रिश्वत आदि से जमा धन विदेश भेजने वालों पर कड़े कदम उठाने की उम्मीद स्वाभाविक है।

-अनिल नरेन्द्र

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