Saturday, 14 September 2019

जगन मोहन के निशाने पर आए चंद्रबाबू नायडू

तेलुगूदेशम पार्टी के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को चलो अथमाकुर के आह्वान के तहत गुंटूर जिले के पालनाडु क्षेत्र के लिए अडावल्ली स्थित अपने घर से निकलने का असफल प्रयास किया। यह विरोध प्रदर्शन कुछ ग्रामीणों को गांव से निकालने के विरोध में किया जाना था। उनके बेटे लोकेश को भी नजरबंद किया गया। आंध्र प्रदेश के पुलिस महानिदेशक डी. गौतम संवाग ने मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से एक  बयान जारी कर कहा कि नायडू की गतिविधियों के कारण गुंटूर क्षेत्र में तनाव बढ़ रहा था और कानून-व्यवस्था बिगड़ रही थी, इसलिए उन्हें एहतियातन हिरासत में लिया गया। सत्ता और विपक्ष के बीच की प्रतिद्वंद्विता किस तरह कटुता में बदल रही है, आंध्र प्रदेश उसका ताजा उदाहरण है, जहां राजनीतिक हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने से रोकने के लिए सरकार ने चंद्रबाबू नायडू समेत विपक्ष के कुछ नेताओं को नजरबंद कर दिया। तेलुगूदेशम पार्टी (पीडीपी) का आरोप है कि वाईएसआर कांग्रेस सत्ता में आने के बाद से उसके 10 कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। गुंटूर जिले के अथमाकुर गांव से अनुसूचित जाति के 120 परिवारों को, जो उसके सम्पर्प हैं, निकाल बाहर किया जा चुका है। टीडीपी ने उन्हें गुंटूर शहर में बनाए गए एक शिविर में रखा है। चंद्रबाबू अपने कार्यकर्ताओं की हत्या और उनके दमन पर पिछले दिनों एक बुकलेट जारी कर चुके हैं और अब वह गांव से निकाले गए परिवारों को वापस उस गांव में बसाने जा रहे थे, उससे पहले ही यह कार्रवाई हो गई। वाईएसआर कांग्रेस का कहना है कि टीडीपी के कार्यकाल में उनके कार्यकर्ताओं के खिलाफ व्यापक हिंसा हुई थी, लिहाजा टीडीपी के प्रस्तावित कार्यक्रम के जवाब में उसने भी चलो अथमाकुर यात्रा की योजना बनाई थी। पुलिस का कहना है कि टीडीपी ने इस यात्रा की अनुमति नहीं ली थी और चंद्रबाबू नायडू के क्रियाकलापों से राज्यभर में हिंसा भड़कने की आशंकाओं के मद्देनजर उसने यह कदम उठाया। यही नहीं, उसने वाईएसआर कांग्रेस के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी नजरबंद किया। राज्य की दो प्रमुख पार्टी होने के कारण वाईएसआई कांग्रेस और टीडीपी में प्रतिद्वंद्विता स्वाभाविक है। सत्ता में आने के बाद जगन मोहन ने चंद्रबाबू नायडू की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं को पलट दिया है। अगर चंद्रबाबू नायडू ने भ्रष्टाचार किया है जैसा जगन मोहन कह रहे हैं तो जांच में सब सामने आ जाएगा और कानून अपना काम करेगा पर सरकार को ऐसे अतिवादी कदम उठाने से बचना चाहिए, जिससे विपक्ष की आवाज दबाने के आरोपों की पुष्टि होती हो।

-अनिल नरेन्द्र

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