Monday 23 September 2019

अयोध्या किसकी? फैसला दीपावली के बाद

130 साल से भी अधिक पुराने अयोध्या विवाद में नवम्बर इसी साल तक फैसला आने की अंतत संभावना है। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक पुष्टि से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए गत बुधवार को 18 अक्तूबर इसी वर्ष तक की सीमा निर्धारित कर दी है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवम्बर को सेवानिवृत हो रहे हैं, उससे पहले फैसला आने की उम्मीद है। जजों ने कहाöहमें मिलकर 18 अक्तूबर तक सुनवाई पूरी करने का प्रयास करना चाहिए, ताकि हमें भी लिखने के लिए चार सप्ताह का वक्त मिल जाए। अगर जरूरी हुआ, शनिवार को भी सुनवाई के लिए तैयार हैं। विवाद के तीन पक्ष हैंöशीर्ष अदालत में इस समय अयोध्या में 2.77 एकड़ जमीन विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लल्ला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के सितम्बर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही हैं। मध्यस्थता के माध्यम से विवाद का समाधान खोजने के प्रयास विफल होने के बाद संविधान पीठ छह अगस्त से प्रतिदिन मामले की सुनवाई कर रही है। यह अच्छी बात है कि अदालत अब इस समस्या को ज्यादा टालने के हक में नहीं दिखती। देश भी यही चाहता है कि बस बहुत हो गया। सभी पक्ष हमें लगता है कि अब फैसला चाहते हैं क्योंकि जनता आजिज आ चुकी है। हालांकि अदालत ने यह भी कहा कि इसके साथ ही मध्यस्थता की कोशिशें भी जारी रह सकती हैं, लेकिन इसकी वजह से इस मामले में बहस हो रही है वह रोकी नहीं जानी चाहिए। इस गंभीरता को सुप्रीम कोर्ट भी बहुत अच्छी तरह समझता है कि अयोध्या का राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामला देश के वैधानिक इतिहास का शायद सबसे महत्वपूर्ण मामला है। इससे देश के करोड़ों लोगों की संवेदना जुड़ी है, लेकिन जिस तरह से यह मामला पिछले कई दशकों से न सिर्प लंबित है, बल्कि उसे लेकर तरह-तरह से राजनीतिक हित भी साधे जा रहे हैं, उसको देखते हुए मामले को अंतिम मुकाम तक पहुंचाना भी अब जरूरी हो गया है। इस प्रकरण में हिन्दू-मुस्लिम पक्षकारों की दलीलें पूरी करने की समयसीमा निर्धारित किया जाना काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि अयोध्या विवाद की सुनवाई कर रहे पांच सदस्यीय संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवम्बर को सेवानिवृत हो रहे हैं। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एसए बोबड़े, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई खत्म करने की जो तारीख दी है, उसके हिसाब से देखें तो इस मामले में फैसला अक्तूबर के अंत तक या नवम्बर के पूर्वाद्ध में कभी भी आ सकता है। सबसे जरूरी यह है कि जो फैसला आए, सभी पक्षों को उसे स्वीकार करने के लिए तैयार रहना होगा।

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