Friday, 20 September 2019

आठ शहीद जवानों के परिवारों को एक-एक करोड़

बहादुरी से अपनी सेवा के दौरान शहीद हुए दिल्ली पुलिस के आठ जवानों के परिजनों को दिल्ली सरकार ने एक-एक करोड़ रुपए की सम्मान राशि देने की घोषणा की हम उसकी सराहना करते हैं। बेशक सरकार इन शहीदों के परिवारों को कई प्रकार से मदद करती है पर एक-एक करोड़ रुपए काफी बड़ी राशि है और प्रभावित परिवारों को इससे काफी मदद मिलेगी। ये फैसला दिल्ली सचिवालय में मंगलवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अध्यक्षा में हुई मंत्रियों की बैठक में किया गया। इस बैठक में शहरी विकास मंत्री सत्येन्द्र जैन और राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत मौजूद थे। जिन आठ पुलिस कर्मियों के परिवारों को एक करोड़ रुपए की सम्मान राशि देने की मंजूरी दी गई है उनमें एएसआई विजय सिंह, एएसआई जितेन्द्र, एएसआई महावीर सिंह, हैड कांस्टेबल गुलजारी लाल, हैड कांस्टेबल राजपाल सिंह कसाना, एसआई खजान सिंह, एएसआई (भूतपूर्व) धर्मवीर सिंह और कांस्टेबल अमर पाल का परिवार शामिल है। उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिया कि इन शोक संतृप्त परिवारों को तुरन्त एक करोड़ की सहायता दी जाए। देश की सेवा करते हुए प्राण न्यौछावर करने वालों के बलिदान का कोई मोल नहीं होता। यह बात मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कही। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि दिल्ली सरकार हर उस शहीद जवान के परिवार को एक करोड़ की सम्मान राशि देती है, जो देश की सेवा में खुद को समर्पित कर देता है। बलिदान का कोई मोल नहीं, लेकिन सरकार उनके परिवार की जिम्मेदारी तो ले सकती है। शहीद पुलिस जवानों की बहादुरी एक मिसाल है जब अपनी जान की परवाह न करते हुए अपनी ड्यूटी को हर कीमत पर निभाया। कोई मोटर साइकिल सवार बदमाशों को रोकने पर गोली के शिकार हुए तो कोई यातायात नियम तोड़ रहे टैम्पो चालक को रोकने के प्रयास में गाड़ी के नीचे ही ला दिए गए। एएसआई ने शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की जांच करने के लिए कार चालक को रोका लेकिन कार चालक ने बैरिकेड तोड़ते हुए एएसआई को टक्कर मार दी। चोट इतनी गंभीर थी कि उनकी जान चली गई। हर शहीद की दर्दनाक कहानी है। धनराशि का अपना महत्व होता है पर उनकी बहादुरी का सम्मान अलग बात है। इस कदम से दिल्ली पुलिस की तमाम फोर्स का मनोबल बढ़ेगा। हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के इस फैसले का स्वागत करते हैं, सराहना करते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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