Sunday 29 September 2019

भारी ट्रैफिक जुर्माने को लेकर केंद्र और राज्यों में ठनी

मोटर वाहन संशोधन विधेयक 2019 की सिफारिशें 18 राज्यों के परिवहन मंत्रियों के समूह ने की थीं। लेकिन जब इस पर अमल करने की बात आई तो वही राज्य अब कानून लागू करने से पीछे हट रहे हैं। इसका कारण यातायात कानून का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माने को लेकर लोगों में भारी आक्रोश है। वहीं सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि भारी जुर्माना राजस्व जुटाने के लिए नहीं बल्कि लोगों में कानून के प्रति डर व सम्मान पैदा करने के लिए आवश्यक है। विधेयक में भारी जुर्माना, जेल, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, थर्ड पार्टी इंश्योरेंस सहित तमाम प्रावधानों को शामिल करने की सिफारिश मंत्री समूह ने की थी। अगस्त 2016 में कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी। लेकिन तब राज्यों ने इसका विरोध नहीं किया। इसके बाद विधेयक लोकसभा में पारित हो गया लेकिन अब जब यह कानून बन गया है इसके क्रियान्वयन पर उन्हें ऐतराज है। राज्य सरकारों और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के बीच मतभेद का मामला अब महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) केके वेणुगोपाल के कार्यालय तक पहुंच गया है, केंद्रीय कानून मंत्रालय के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय विधान का प्रवर्तन टालने के लिए राज्य सरकार की शक्तियों पर अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल से कानूनी राय मांगी गई है। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा जुर्माना घटाने के मुद्दे पर भी राय मांगी गई है। भाजपा शासित गुजरात सहित कई राज्यों ने भारी जुर्माने को लेकर मचे बवाल के बीच यातायात कानून उल्लंघन पर नए एमवी अधिनियम को टाल दिया गया है। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए 18 संशोधन अपराधों के  लिए जुर्माने में कमी की घोषणा की। सूत्रों ने कहा कि रूपाणी के नए एमवी अधिनियम के क्रियान्वयन को टालने के फैसले को दिल्ली, उत्तराखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों ने भी अनुसरण किया है। इसके बाद नितिन गडकरी के नेतृत्व वाले केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कानून मंत्रालय से यह पता लगाने के लिए कानूनी राय मांगी है कि क्या राज्य सरकारों के पास संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित केंद्रीय कानून को लागू करने की तिथि को टालने के पर्याप्त अधिकार हैं या नहीं? एमओआरटीएच के शीर्ष अधिकारी भी कानून मंत्रालय से जानना चाहते हैं कि क्या राज्य सरकार जुर्माना कम कर सकती है? सूत्रों ने कहा कि जुर्माने के जटिल मुद्दे को ध्यान में रखते हुए कानून मंत्रालय ने मामले पर कानूनी राय व स्पष्ट करने के लिए अटॉर्नी जनरल की राय मांगी है। गुजरात ने जुर्माना राशि में 25 से 90 प्रतिशत तक कमी कर दी, उत्तराखंड ने भी भारी कटौती की है। गडकरी ने स्पष्ट कहा कि हादसे रोकने के लिए कड़े कानून की जरूरत है।

-अनिल नरेन्द्र

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