Tuesday, 10 September 2019

बोरिस जॉनसन सरकार की तीसरी हार ः आगे क्या?

ब्रिटेन में ब्रेग्जिट मुद्दे की वजह से राजनीतिक उथल-पुथल का दौर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। यूरोपीय यूनियन से बिना शर्त अलगाव के मसले पर संसद (हाउस ऑफ कामन्स) में लगे झटके से प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन उबरे भी नहीं थे कि 15 अक्तूबर को चुनाव कराने के उनके प्रस्ताव को हाउस ऑफ कामन्स ने नकार दिया। मध्यावधि चुनाव के लिए जॉनसन को सदन के दो-तिहाई सदस्यों (434) का समर्थन चाहिए था। उन्हें केवल 298 का ही साथ मिला। इससे पहले एक प्रस्ताव पर हाउस ऑफ कामन्स में हुए मतदान के समर्थन में 301 सांसदों ने ही वोट दिया, जबकि 328 ने विरोध किया। इस हार के बाद जॉनसन ने फिर दोहराया कि वे 31 अक्तूबर तक डील या बिना डील के ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से अलग करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के लिए हाउस ऑफ कामन्स में कोई भी प्रस्ताव पारित कराना अब संभव नहीं है। 15 अक्तूबर को चुनाव कराने के प्रस्ताव को नकारे जाने से कंजरवेटिव पार्टी की जॉनसन सरकार को महज 24 घंटे में यह तीसरा झटका लगा है। बता दें कि ब्रेग्जिट मुद्दे पर कई बार सदन में हार के कारण ही जुलाई में थेरेसा मे ने इस्तीफा दिया था। इसके बाद 24 जुलाई को जॉनसन प्रधानमंत्री बने थे। विपक्ष और अपनी पार्टी के 21 सांसदों के हाथों बोरिस जॉनसन की हार कंजरवेटिव पार्टी की आत्मा पर प्रहार जैसा है। बोरिस को प्रधानमंत्री पद संभाले छह सप्ताह बीत चुके हैं। वह 31 अक्तूबर तक यूरोपीय संघ छोड़ने के वादे पर कायम रहेंगे, कहना मुश्किल है। ब्रेग्जिट पर गरम हुई सियासत, प्रधानमंत्री जॉनसन ने निलंबित की संसद, 31 अक्तूबर तक एक डील पारित करेंöनो डील ब्रेग्जिट को रोकने का एक विकल्प जिसे सरकार प्राथमिकता दे रही है, वो यह है कि यूके की संसद अक्तूबर के आखिरी हफ्ते से पहले यूरोपीय संघ से इस समझौते को वापस लेने पर राजी करा ले। इससे पहले पूर्व ब्रितानी प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने यूरोपीय संघ से जो ब्रेग्जिट डील की थी, उसे ब्रिटेन के हाउस ऑफ कामन्स में कई बार अस्वीकृत किया जा चुका है। इतनी ही नहीं, मौजूदा प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि यह डील अब डेड यानि खत्म हो चुकी है। इसके अलावा ब्रेग्जिट को टालने का भी एक विकल्प है लेकिन इसके लिए यूरोपीय संघ के बाकी सदस्यों की सहमति भी चाहिए होगी और अंत में यह विकल्प है कि ब्रेग्जिट को निरस्त ही कर दिया जाए। अनुच्छेद 50 को वापस लेकर ब्रेग्जिट को पूरी तरह से रद्द करने का कानूनी विकल्प भी है। लेकिन यह स्पष्ट है कि वर्तमान सरकार इस पर विचार नहीं कर रही है। ऐसे में अगर सरकार बदलती है तो यह कल्पना संभव हो सकती है।

-अनिल नरेन्द्र

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