Wednesday, 14 August 2013

हमें तुम पर गर्व है पीवी सिंधु

विश्व बैंडमिंटन चैंपियनशिप में करीब 30 साल बाद कांस्य पदक पर कब्जा जमाने वाली पीवी सिंधु ने भारतीय खिलाड़ियों के लिए एक नई मिसाल तो कायम की है, साथ ही उनको यह संदेश भी देने की कोशिश की है कि भारत में क्रिकेट के अलावा और भी कई खेल हैं। क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों में भी युवा खिलाड़ी रुचि ले रहे हैं, यह देखकर भारतीय खेलों के अच्छे भविष्य की उम्मीद अब हम कर सकते हैं। सिंधु ने पिछले एक साल से ही चमक बिखेरनी शुरू कर दी थी पर वह देश की स्टार शटलर सायना नेहवाल से पहले बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतेंगी, इसकी  कल्पना शायद ही किसी ने की हो। वैसे भी महिला एकल में यह सफलता पाने वाली पहली भारतीय हैं। पीवी सिंधु ने ड्रॉ देखकर ही समझ लिया था कि उनके लिए सफर आसान नहीं। लेकिन इस उभरती हुई भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ने कहा कि उन्होंने कभी भी खुद को कम करके नहीं आंका और एक के बाद एक चुनौती को पार करते हुए चीन के ग्वांग्यू में वर्ल्ड चैंपियनशिप में ऐतिहासिक ब्रांज मेडल हासिल कर अपने साथ-साथ देश की शान को बढ़ाया है। 18 वर्षीय सिंधु इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता के सिंगल्स मुकाबले में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। सिंधु ने कहा कि मैं सेमीफाइनल में दुनिया की तीसरे नम्बर की खिलाड़ी थाइलैंड की रतचानोक इंतानोन से हारने से थोड़ी निराश जरूर हूं लेकिन मैं ब्रांज मेडल जीतने से खुश हूं। यह मेरी पहली वर्ल्ड चैंपियनशिप थी और यह मेरे लिए बड़ी जीत है। सिंधु  ने कांस्य पदक ही नहीं जीता बल्कि इस अभियान के दौरान दो बार चीनी दीवार को भी लांघा। उन्होंने प्री-क्वार्टर फाइनल में दूसरी वरीय और पिछली वर्ल्ड चैंपियन यिहाम वांग को और क्वार्टर फाइनल में चीन की ही ही शिनियान को हराकर यह साबित कर दिया कि वह बीग लीग की खिलाड़ी बन गई हैं। यह सही है कि उन्हें सायना जैसी सफलताएं पाने के लिए अभी लम्बा रास्ता तय करना है पर अभी वह 18 वर्ष की हैं वह दिन भी दूर नहीं जब वह नेशनल चैंपियन बनेगी और ओलंपिक्स में अपना नाम लिखवा सकेंगी। दरअसल सिंधु की यह उपलब्धि भारतीय खेलों के लिए इसलिए भी महत्व रखती है दरअसल भारत में ग्लैमर, पैसा और रुतबा जिस प्रकार क्रिकेट से जुड़ा है वैसा अन्य खेलों के साथ नहीं है इसके बावजूद भारत में बिना कोई विशेष सरकारी सहायता के युवा खिलाड़ी दूसरे खेलों में लगे हैं। उसे प्रोत्साहित ही किया जाना चाहिए। देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए पेशेवर आधारभूत ढांचा स्थापित करने की आवश्यकता है। इसके लिए कारपोरेट सेक्टर को भी इन खेलों को बढ़ावा देने के लिए पेशेवर खिलाड़ियों को प्रोत्साहन व सुविधाएं प्रदान करने के लिए आगे आना होगा। हमारी डिफेंस में खासकर आर्मी में अन्य खेलों में कई खिलाड़ी आगे आए हैं। सवा सौ करोड़ की आबादी वाले इस देश में दो-चार ओलंपिक पदकों पर ही संतोष कर लेने की मानसिकता को अब त्यागना होगा। हॉकी, कुश्ती, तीरंदाजी, फुटबाल, खो-खो, कबड्डी, साइकिलिंग, तैराकी जैसे अनेक खेलों में हमें विश्व स्तर पर चीन की तरह खिलाड़ी तैयार करने होंगे। सिंधु को इस शानदार सफलता पर बधाई।
 -अनिल नरेन्द्र

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