आय से अधिक सम्पत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती को गुरुवार को बड़ी राहत दी। अदालत ने उनके खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का मामला निरस्त करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से इंकार कर दिया। आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने से संबंधित मामले में प्राथमिकी निरस्त करने के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका का निपटारा करते हुए प्रधान न्यायाधीश पी. सदाशिवम और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि पिछले साल जुलाई के उनके फैसले का संबंध सिर्प ताज गलियारा प्रकरण से था। न्यायाधीशों ने कहा कि यह भी स्पष्ट किया जाता है कि हमने ताज धरोहर गलियार परियोजना, जो विवाद हमारे सामने आया था, से संबंधित शीर्ष अदालत के निर्देशों के अलावा सीबीआई के दावे, हस्तक्षेपकर्ता या मायावती के रुख से जुड़े किसी भी पहलू पर विचार नहीं किया है। न्यायालय ने मायावती के खिलाफ नौ साल पुराना आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का मामला निरस्त करते हुए कहा था कि सीबीआई ने उसके आदेशों को ठीक से समझे बगैर ही कार्रवाई की जबकि उसका आदेश ताज गलियारा प्रकरण में बगैर मंजूरी के उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 17 करोड़ रुपए के भुगतान संबंधी मामले तक ही सीमित था। इस ताजे फैसले से यहां बहन जी को एक तरह से राजनीतिक संजीवनी मिल गई है वहीं समाजवादी पार्टी बैकफुट पर आ गई है। राहत मिलने के बाद मायावती ने विरोधियों को कड़ा जवाब दिया है। उन्होंने कहा है कि कोर्ट के फैसले से पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह पैदा होगा और वह जोरशोर से चुनावी तैयारी में जुटेंगे। जिस समय सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में केंद्र सरकार से समझौते के आरोप लग रहे हैं उस समय मायावती को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मायावती ने भी खुलकर हुंकार भरी है। उन्होंने कहा है कि उन्हें बदनाम करने की साजिश चल रही थी। टीवी, मीडिया में उनके खिलाफ गलत बयानबाजी की जा रही थी। उन्होंने एनडीए सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने 2003 में उन्हें गलत मामले में फंसाया था। मायावती ने कहा कि कोर्ट के फैसले से वह बहुत खुश हैं। उनके खिलाफ यह मामला कांशीराम के जीवित रहते दायर किया गया था। मायावती ने कहा कि अगर कांशीराम के जीवित रहते वह बरी हो जातीं तो उन्हें खुशी होती। निश्चित रूप से बहन जी के सिर से भारी बोझ उतर गया होगा और अब वह और खुलकर बिना किसी दबाव के काम कर सकेंगी। हालांकि सपा, भाजपा और कांग्रेस के लिए यह फैसला थोड़ा-सा सेटबैक माना जा सकता है। उनके हाथों से दबाव बनाने का एक मुद्दा हाथ से निकल गया है।
-अनिल नरेन्द्र
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