Thursday 8 August 2013

भारतीय क्रिकेट पर माफिया का कंट्रोल बोड

हमारे देश में क्रिकेट को लेकर अजीबो-गरीब स्थिति बनी हुई है। एक ओर टीम इंडिया अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में झंडे गाढ़ रही है तो वहीं क्रिकेट माफिया की छत्रछाया में क्रिकेट के मैच फिक्सिंग की खबरें जोरों पर हैं। जिम्बाब्वे में विराट कोहली की टीम ने पहली बार विदेशी धरती पर 5-0 से सीरीज जीती है। ठीक उसी समय जब यह मैच चल रहे थे दिल्ली पुलिस 6000 पन्नों की विशाल चार्जशीट दाखिल कर रही थी। इस मैच फिक्सिंग केस में दिल्ली पुलिस ने 39 अभियुक्त बनाए हैं जिनमें दाउद इब्राहिम जैसे कुख्यातों के बीच श्रीसंत सहित तीन ऐसे क्रिकेटर शामिल हैं जो राजस्थान रायल्स की तरफ से आईपीएल खेलते हैं। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि यह वही माफिया है जो अरसे से भारत की बर्बादी के लिए साजिशों को रचता आ रहा है। अब देखिए कि ऐसे खतरनाक माफिया सिंडिकेट की कठपुतली बनकर क्रिकेट और देश का सत्यानाश करने वाले तीन क्रिकेटरों द्वारा जिस राजस्थान रायल्स टीम से जुड़े हैं उस टीम को पाक-साफ बताने के लिए कैसी बाजीगरी की गई। क्रिकेट कंट्रोल को जमीनदारी या प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी की तरह चलाने वाले बीसीसीआई के अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन की टीम चेन्नई सुपर किंग्स भी आरोपों के घेरे में थी। खुद श्रीनिवासन के दामाद मयप्पन इस टीम के सर्वेसर्वा हुआ करते थे जिन पर सट्टेबाजी के आरोप थे। इन्हें क्लीन चिट देने के लिए आनन-फानन में मनमाफिक समिति बना दी गई जिसमें महज चन्द घंटों के भीतर दोनों टीमों को पाक-साफ होने का सर्टीफिकेट दे दिया। मजे की बात यह रही कि 24 घंटे के भीतर बंबई हाई कोर्ट ने न केवल इस सर्टीफिकेट  को गलत बता दिया बल्कि कमेटी के गठन को ही अवैध और असंवैधानिक करार दे दिया। कोर्ट खुद हैरान था कि बीसीसीआई ने अपने ही नियमों की अनदेखी कर कैसे ऐसी कमेटी बना दी, खासकर जब दिल्ली और मुंबई पुलिस की तहकीकात अभी जारी ही थी पर इस विपरीत फैसले से भी श्रीनिवासन को कोई फर्प नहीं पड़ा और उन्होंने पद पर फिर से आसीन होने की खातिर सारे नियमों, परंपराओं को ताक पर रखकर कार्यसमिति की विशेष बैठक बुला ली। बैठक का एक मात्र एजेंडा था श्रीनिवासन को अध्यक्ष पद पर  पुन स्थापित करना। कार्यसमिति में जमकर विरोध हुआ और कुछ सदस्यों ने इस्तीफा देने की बात तक कह दी। उनका तर्प था कि जिस तरह दो सदस्यों के पैनल ने जांच में श्रीनिवासन को दोषमुक्त करार दिया उससे जांच की पूरी प्रक्रिया संदेह के घेरे में आ जाती है। वहीं गुरुनाथ मयप्पन को जिस तरह क्लीन चिट दी गई उससे भी कुछ सवाल खड़े होते हैं। जब हाई कोर्ट ने कमेटी को ही अवैध और असंवैधानिक करार दिया तो ऐसे में श्रीनिवासन का अध्यक्ष बनना या अध्यक्ष के रूप में बैठक बुलाना विद्रोह के हालात पैदा करने जैसा है। वैसे यह मामला श्रीनिवासन और जगमोहन डालमिया के बीच खींचतान का भी लगता है। इन्हीं सबको देखते हुए डालमिया को अंतरिम अध्यक्ष के रूप में काम करते रहने के लिए कहा गया है। भारतीय क्रिकेट के भविष्य के लिए एक अच्छे, साफ-सुथरे बोर्ड का होना उतना ही जरूरी है जितना इस क्रिकेट माफिया से जान छुड़ाने का।

                                                                                                                                                                                      -अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment