Saturday 3 August 2013

दिल्ली के नए पुलिस कमिश्नर भीम सेन बस्सी का स्वागत ह



दिल्ली के नए पुलिस कमिश्नर भीम सेन बस्सी ने बुधवार दोपहर दिल्ली के 19वें कमिश्नर ऑफ पुलिस (सीपी) का पदभार सम्भाल लिया। श्री बस्सी का दिल्ली से पुराना वास्ता है। उन्होंने 21 साल की उम्र में आईपीएस बनकर कॉलेज और परिचित युवाओं के लिए मिसाल कायम की थी। वर्ष 1956 में जन्मे बस्सी की पढ़ाई-लिखाई भी दिल्ली में ही हुई। शांत स्वभाव व दूरदर्शी सोच के मालिक बीएस बस्सी प्रकृति व संगीत के प्रेमी हैं। खाली समय में वह संगीत सुनना बेहद पसंद करते हैं। खाली समय वह टीवी भी देखते हैं। गोल्फ के भी शौकीन हैं। दिल्ली के सीपी के बारे में आमतौर पर यही कहा जाता है कि यह कांटों का ताज है। श्री बस्सी को कई चुनौतियों से जूझना पड़ेगा। बसंत विहार गैंगरेप की घटना व आए दिन महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों के कारण कहीं न कहीं पुलिस सिस्टम के प्रति लोगों में विश्वास की कमी और असुरक्षा का भाव पनपा है। इन सभी घटनाओं के बाद तमाम आरोपों को झेलने वाले पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार को भावभीनी विदाई दी गई लेकिन इन चुनौतियों को नवनियुक्त पुलिस कमिश्नर भीम सेन बस्सी के सिर पर बांध दिया गया। चुनौतियों से कांटों भरी राह को सरल बनाने के लिए नए सीपी को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। बस्सी ने अपने आपको पूरी तरह जनमित्र बनाने की घोषणा की है। साथ ही महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा, स्ट्रीट क्राइम पर रोक, यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कही है। ऐसी घोषणाएं सभी नए सीपी पद सम्भालने के बाद करते हैं। जरूरी तो यह है कि इन घोषणाओं पर कड़ाई से अमल कितना होता है? आतंकवाद का फ्रंट अलग है वहीं संगठित अपराध पर नकेल डालना भी काफी अहम होगा। बेशक इसमें कोई शक नहीं कि दिल्ली पुलिस के खाते में उपलब्धियां कम नहीं हैं लेकिन शायद चुनौतियां उससे कहीं अधिक हैं। बसंत विहार की घटना के बाद पुलिस की जो छवि बनी उससे न तो जनता खुश है और न ही समाज के लिए काम करने वाले लोग। इस आंदोलन ने ऐसा माहौल पैदा किया कि लोगों को खाकी वर्दी से ही चिढ़ होने लगी। रही-सही कसर गांधी नगर में बच्ची के साथ हुई ज्यादती ने पूरा कर दिया। इन दो घटनाओं के बाद सरकार ने ही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट को भी टिप्पणी करनी पड़ी कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस को कुछ अच्छा करना ही होगा। इन दोनों घटनाओं के बाद मानों लोगों में अपना हक मांगने और प्रदर्शन करने की जागरुकता आ गई और छोटी-छोटी घटना पर भी लोग पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सड़कों पर उतरने लगे। दरअसल आज पुलिस का खौफ गायब हो चुका है, वर्दी का भय समाप्त हो चुका है। आप दिल्ली के इन बाइकर्स का केस ही ले लीजिए। पुलिस की सारी चेतावनियों के बाद भी यह अपनी हरकतें करने से बाज नहीं आते। नए सीपी को अपनी 80 हजार की फोर्स में उन काली भेड़ों से भी निपटना होगा जो दिल्ली पुलिस की छवि पर दाग लगा रहे हैं। हम श्री भीम सेन बस्सी का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह अपनी प्राथमिकताओं पर टिके रहेंगे और दिल्ली को एक बेहतर, ज्यादा सुरक्षित, क्राइम फ्री राज्य बनाने में सफल होंगे। वह ऐसे समय सीपी बने हैं जब दिल्ली के नए राज्यपाल आए हैं और जल्द विधानसभा चुनाव होने हैं। सारे विवादों के बावजूद मेरी नजरों में नीरज कुमार का कार्यकाल ठीक-ठाक रहा।

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