Thursday 15 August 2013

66 वर्षों के बाद भी देश में मायूसी, स्वतंत्रता का उत्साह गायब


हर वर्ष की तरह बृहस्पतिवार को हम अपने देश का 66वां स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे। स्वतंत्रता दिवस का आम आदमी के लिए कोई विशेष महत्व नहीं रहा। अधिकतर लोगों के लिए यह एक छुट्टी का दिन बनकर रह गया है। स्कूलों, कार्यालयों, कॉलेजों में छुट्टी और सरकारी इमारतों पर तिरंगा फहराया जाएगा, भाषण होंगे, परेडें होंगी व कुछ कवि सम्मेलन, मुशायरे इत्यादि होंगे। लाखों देशभक्तों के बलिदान और अतुलनीय संघर्ष के बाद जिस आजादी को हमने हासिल किया था, वह जज्बा अब गायब होता जा रहा है। शायद बढ़ती समस्याओं ने हमारा उत्साह कम कर दिया है। आज देश समस्याओं से घिरा हुआ है। कहीं तो देश के खिलाफ साजिशें चल रही हैं तो गरीब आदमी अपनी दो वक्त की रोटी व रोजी को लेकर परेशान है। वैसे कहने को तो भारत ने इन 66 वर्षों में कई क्षेत्रों में तरक्की की है। भारत एक सुपर पॉवर बन गया है। समुद्र से आसमान तक भारत की शक्ति बढ़ी है। देशी तकनीक से निर्मित पहले विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का जलावतरण कर भारत 35,000 टन से ज्यादा वजन वर्ग के युद्धपोत का डिजाइन एवं निर्माण करने की क्षमता रखने वाले चुनिन्दा देशों में शामिल हो गया है। परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम स्वदेशी मिसाइल पृथ्वी-2 का सोमवार को सफलतापूर्वक परीक्षण हुआ। 350 किलोमीटर दूरी तक की मारक क्षमता रखने वाली इस मिसाइल का परीक्षण रक्षा बलों के उपयोग के उद्देश्य से किया गया है। ऐसा नहीं कि भारत ने इन 66 वर्षों में उन्नति नहीं की। बहुत-सी उपलब्धियां हैं पर फिर भी देश में मायूसी का माहौल है। सरकार और जनता की दूरी बढ़ती जा रही है। भारत की आम जनता को सबसे ज्यादा निराशा हमारी राजनीतिक व्यवस्था, प्रशासनिक व्यवस्था ने किया है। इसमें गिरावट का आलम यह है कि कई बार भ्रम होने लगता है कि देश को जनता द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार चला रही है या अदालतें चला रही हैं? हमारे नैतिक मूल्य धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं तभी तो अमानवीय हरकतों का बोलबाला है। बेरोजगारी व महंगाई ने जनता की कमर तोड़कर रख दी है। देश की एकता और अखंडता दोनों को आज घर के अन्दर और बाहर से चुनौती मिल रही है, आतंकवाद सिर चढ़कर बोल रहा है। 66 वर्ष के बाद भी सरकार लोगों को दो वक्त की रोटी देने में असफल रही है। इतने वर्षों में हम छोटे राज्यों को बनाने का फॉर्मूला नहीं बना सके। एक ओर केंद्र और राज्यों में अधिकारियों की कमी है तो दूसरी ओर देश का युवा जबरदस्त बेरोजगारी झेल रहा है। नेता लोग अपनी जेबें भरने के लिए हर सिस्टम, परम्परा को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे। अगर कोई ईमानदार अफसर इसके खिलाफ आवाज उठाता है तो उसे दबा दिया जाता है। ऐसे माहौल से पैदा होने वाली निराशा से हमारी इतने वर्षों की उपलब्धियां भी नजरअंदाज हो रही हैं। चौतरफा तरक्की के बावजूद आज देशवासियों में उत्साह नहीं है, मायूसी ही छाई हुई है। प्यारे देशवासियों यह मायूसी  खुशी में पलटेगी और फिर खुशी लौटेगी। सभी प्यारे देशवासियों को 66वीं स्वतंत्रता दिवस पर बधाई।
 -अनिल नरेन्द्र

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