उत्तराखंड में प्राकृतिक प्रकोप का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं
ले रहा। अभी तक बादल फटने की घटनाएं हो रही हैं। आपदा के दो महीने से ज्यादा समय बीतने
के बाद भी पहाड़ में मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। लगातार बारिश से नदियां उफान पर
हैं और भूस्खलन से पहाड़ दरक रहे हैं। रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी में हालात काबू
में नहीं आ रहे हैं। राहत कार्य में मौसम का अड़ंगा है। सेना, बीएसएफ और लोनिवि के
तमाम प्रयासों के बावजूद मुख्य मार्गों को अभी तक खोला नहीं जा सका। केदारनाथ मंदिर
की तबाही के बाद अब बद्रीनाथ मंदिर के अस्तित्व को भी खतरा पैदा हो गया है। बद्रीनाथ
धाम को दोतरफा खतरा पैदा हो गया है। मंदिर के पीछे स्थित नारायण पर्वत पर सिंचाई विभाग
की ओर से बनाई गई सुरक्षा दीवार क्षतिग्रस्त होने की खबर मिली है। इससे पर्वत से तेजी
से भूस्खलन शुरू हो गया है। इस हाल में नारायणी और इन्द्र धारा नाले में जमा मलबा कभी
भी तबाही मचा सकता है। इसके अलावा बद्रीनाथ मंदिर के ठीक नीचे करीब 50 मीटर की दूरी
पर स्थित तप्त पुंड के ब्लॉक भी अलकनंदा नदी के तेज बहाव से खोखले हो गए हैं जिससे
तप्त पुंड को खतरा बन गया है। भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ. डीसी नैनवाल का कहना है कि बद्रीनाथ
की दाईं और बाईं ओर की ढलानों पर मिट्टी की मोटी परत जमी है। इससे भूस्खलन का खतरा
बढ़ गया है। मंदिर के ठीक पीछे तीव्र ढलान और ऊपरी भाग में खड़ी चट्टान है। यदि चट्टानों
में दरार आती है तब बद्रीनाथ को खतरा हो सकता है। यदि मंदिर के पीछे सुरक्षा दीवार
क्षतिग्रस्त हो रही है तो इसका जल्द ट्रीटमेंट करना आवश्यक है। हालांकि मंदिर समिति
के सीईओ बीडी सिंह ने कहा है कि बद्रीनाथ मंदिर को कोई खतरा नहीं है। मंदिर से एक किलोमीटर
दूर इन्द्रधारा नाले में पानी बढ़ने से मलबा आ गया है लेकिन मंदिर सुरक्षित है। अधिकारियों
को अफवाहें फैलाने से बचना होगा। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग को पत्र लिखकर उन्होंने
भविष्य में किसी तरह के खतरे से बचने के लिए मरम्मत का काम तुरन्त कराने का आग्रह किया
है। उधर केदारनाथ में जून में आई जल प्रलय के बाद अब पहली बार पूजा का कार्यक्रम बनाया
गया है। बन्द हुई पूजा अब 11 सितम्बर को स्वार्थ सिद्धि अमृत योग के शुभ दिन पर दोबारा
शुरू होगी। इसके लिए पहली बार पुजारी तथा अन्य लोगों को हेलीकाप्टर के जरिये वहां पहुंचाया
जाएगा। श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने बताया कि भीषण
प्राकृतिक आपदा से केदारनाथ में मची तबाही के कारण निर्धारित तारीख तक मंदिर तक पहुंचने
का कोई और रास्ता निकल पाना बहुत मुश्किल है। गोदियाल ने कहा कि पहले दिन सात बजे शुरू
होने वाली पूजा दिनभर जारी रहेगी और इसमें मुख्य पुजारी भीमा शंकर लिंग सहित सिर्प
मंदिर समिति के लोग ही शामिल होंगे। गौरतलब है कि 16-17 जून को आई जल प्रलय से केदारनाथ
मंदिर और आसपास के क्षेत्र में भारी क्षति पहुंची थी। हालांकि मंदिर का गर्भगृह आपदा
से सुरक्षित बच गया था। भीषण तबाही की वजह से केदारनाथ मंदिर में पहली बार पूजा बन्द
हो गई जिसे शुरू करने के लिए मंदिर समिति, राज्य सरकार और शंकराचार्य ने 11 सितम्बर
का दिन निर्धारित किया है। जय बाबा केदार बद्री विशाल की।
-अनिल नरेन्द्र
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