Thursday, 22 August 2013

84 कोसी परिक्रमा पर यूपी सरकार -संत टकराव

इस चुनावी साल में अयोध्या के चर्चित राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर बड़े टकराव की ओर बढ़ता दिख रहा है। विश्व हिन्दू परिषद ने राम मंदिर के मुद्दे पर नए सिरे से लोगों को एकजुट करने के लिए 84 कोसी परिक्रमा की तैयारी कर ली है। यह यात्रा 25 अगस्त से शुरू होकर 13 सितम्बर तक चलनी है। इस योजना की तैयारी में अयोध्या समेत उत्तर प्रदेश के कई शहरों में विहिप ने संत-महात्माओं की भीड़ जुटानी शुरू कर दी है लेकिन उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार ने विहिप के इस अभियान पर प्रतिबंध का ऐलान कर दिया है। सोमवार को यूपी शासन ने इस परिक्रमा की इजाजत देने से इंकार कर दिया। राज्य के प्रमुख गृह सचिव आरएम श्रीवास्तव और डीजीपी देवराज नागर ने मीडिया को सरकार के फैसले की जानकारी दी। यह रोक 19 अगस्त से 15 सितम्बर तक के लिए लगाई गई है। दोनों अधिकारियों ने कहा कि इस परिक्रमा की अनुमति से एक नई परम्परा पड़ेगी। इससे कानून व्यवस्था भी बिगड़ने की आशंका है। उधर विश्व हिन्दू परिषद व राम जन्मभूमि न्यास के डॉ. राम विलास वेदांती ने कहा कि हम अपने समय से परिक्रमा शुरू करेंगे। सरकार रोकेगी तो वहीं  बैठकर राम नाम का जाप करेंगे। मंदिर में दर्शन-पूजन व परिक्रमा के लिए सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं है। यूपी शासन की ओर से प्रमुख गृह सचिव श्रीवास्तव ने बताया कि रोक किस लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि विहिप नेता अशोक सिंघल ने यात्रा का उद्देश्य विवादित राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण बताया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने विवादित परिसर पर यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। लिहाजा यात्रा की इजाजत नहीं दी जा सकती। उन्होंने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 84 कोस की परिक्रमा चैत्र पूर्णिमा से बैसाख पूर्णिमा तक चलती है। इस बार यह अवधि 25 अप्रैल से 20 मई के बीच थी। ऐसे में अगस्त-सितम्बर में परिक्रमा यात्रा का कोई औचित्य नहीं है। डीजीपी नागर ने बताया कि छह जिलोंöफैजाबाद, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, बस्ती और अम्बेडकर नगर से यात्रा प्रस्तावित है। सभी जिलों के प्रशासकों को इससे कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका है। यूपी सरकार ने परिक्रमा रोकने का पूरा इंतजाम कर लिया है। बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों पर खास नजर रखी जा रही है। टकराव की आशंका देखते हुए अस्थायी जेलों और प्रदर्शनकारियों को ले जाने के लिए बसों का इंतजाम भी शुरू कर दिया है। विहिप और यूपी सरकार में छत्तीस का  आंकड़ा टलने का फिलहाल तो कोई आसार नजर नहीं आ रहा है। विहिप नेताओं अशोक सिंघल व संतों ने गत 17 अगस्त को मुलायम सिंह यादव से मिलकर अयोध्या विवाद टालने का प्रयास किया था, लेकिन सरकार का रवैया निराशाजनक रहा। 84 कोसी परिक्रमा पर मुलायम सिंह यादव को कोई एतराज नहीं था परन्तु अचानक आजम खान के कहने पर परिक्रमा रोकने का सरकारी ऐलान कर दिया गया। विहिप के नेता अशोक सिंघल ने अब कमान खुद सम्भाल ली है। अशोक सिंघल ने कहा कि संत पीछे नहीं हटेंगे। अयोध्या राम मंदिर निर्माण तथा परिक्रमा के लिए लोकतांत्रिक ढंग से संघर्ष होगा। सिंघल ने यह भी कहा कि यह निर्णय न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि वोट बैंक के मद्देनजर हिन्दू समाज के दमन का है। इसमें कोई शक नहीं है कि हिन्दू धार्मिक भावनाओं का दमन वे अपनी पार्टी के अंतर्गत मुस्लिम नेताओं के दबाव के कारण ही कर रहे हैं। लगता है कि विहिप व यूपी सरकार में टकराव तय है। मुलायम सिंह और कांग्रेसी नेताओं द्वारा बार-बार यह कहा जाता रहा है कि कोर्ट के निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए। 60 वर्ष बाद जब यह निर्णय आ गया है कि जहां आज रामलला विराजमान हैं वही उनका जन्म स्थान है तो मुलायम सिंह का कर्तव्य बनता है कि मुस्लिम धार्मिक नेताओं द्वारा दिए गए वचनों का पालन करवाते जिसमें उन्होंने वचन दिया था कि यदि यह सिद्ध हो जाता है कि ढांचा हिन्दू मंदिर को तोड़कर उसके स्थान पर बनाया गया है तो वे अपना दावा वापस ले लेंगे। यह यात्रा यथावत चलेगी क्योंकि यह संतों का आदेश है। जय श्रीराम।

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