Sunday, 14 December 2014

आत्महत्या की कोशिश अपराध नहीं, हटेगी धारा 309

आत्महत्या का प्रयास अब दंडनीय अपराध नहीं रहेगा क्योंकि सरकार ने भारतीय दंड संहिता की धारा 309 को हटाने का फैसला किया है। विधि आयोग की सिफारिश के मद्देनजर सरकार ने यह फैसला किया है। इस धारा को हटाने के बारे में 22 राज्यों एवं चार केंद्र शासित प्रदेशों ने सहमति जताई है। गृह राज्यमंत्री हरिभाई परथीभाई चौधरी ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारतीय विधि आयोग ने अपनी 210वीं रिपोर्ट में यह सिफारिश की है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 309 (आत्महत्या का प्रयास) को कानून की पुस्तक से हटा देना चाहिए। भारतीय दंड संहिता से इस धारा को समाप्त करने की सिफारिश लम्बे समय से की जा रही है। 44 साल पहले भी विधि आयोग ने इस कानून को हटाने का प्रस्ताव दिया था। अभी तक आत्महत्या का प्रयास करने वालों के खिलाफ जुर्माना और एक साल कैद की सजा का प्रावधान है। इस मुद्दे के दो पहलू हैं। तमाम न्यायविद मानते रहे हैं कि खुदकुशी करने में नाकाम रहने वाले व्यक्ति के लिए यह दोहरी प्रताड़ना जैसा है। ऐसा करने में जो सफल हो गया यानि जिसने स्वेच्छा से मौत को गले लगा लिया, कानून उसके खिलाफ तो कुछ नहीं कर सकता पर जो बच गया उसे प्रताड़ित करता है। अनेक मानसिक यंत्रणाओं से गुजरने के बाद ही कोई व्यक्ति आत्महत्या का रास्ता अपनाता है, इसलिए उसे मानसिक रोगी की श्रेणी में रखा जाना चाहिए न कि अपराध की। ऐसे व्यक्ति को सहानुभूति और चिकित्सीय मदद की दरकार होती है, सजा की नहीं। विधि आयोग ने वस्तुत इसी अमानवीयता को खत्म करने की सिफारिश की थी जिस पर 18 राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों की सहमति के बाद केंद्र सरकार ने मुहर लगाने का फैसला लिया है। इस प्रसंग में विधि आयोग की सदिच्छा और केंद्र सरकार की मानवीय पहल स्वागत योग्य तो है, पर यह आत्महत्या को जायज ठहराने का प्रयास कदापि नहीं लगना चाहिए बल्कि धारा 309 को खत्म करने के दूसरे खतरे भी हैं। आत्महत्या के प्रयास को अपराध की श्रेणी से हटाए जाने से इसके पीछे के कारणों की तलाश भी मुश्किल हो सकती है। इसका विशेष रूप से कर्ज की वजह से खुदकुशी करने वाले किसानों और दहेज हत्याओं पर असर पड़ सकता है। बिहार, मध्यप्रदेश, सिक्किम जैसे राज्यों ने इसे खत्म करने का इस आधार पर विरोध किया है कि इससे राज्य सरकारों को ब्लैकमेल करने वालों, आमरण अनशन और आत्मदाह की बात करने वालों के हौसले बुलंद हो सकते हैं लिहाजा कानूनी ऐसी कोई व्यवस्था होनी ही चाहिए ताकि ऐसे लोगों को नियंत्रण में रखा जा सके। आत्मघाती हमलावरों की विश्वव्यापी पैठ के इस दौर में भी आत्महत्या की कोशिश को अपराध न मानने के खतरे होंगे। देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाले ये लोग सबूत मिटाने की कोशिश में भी आत्महत्या का प्रयास करते हैं। ऐसे में धारा 309 को खत्म करते हुए सरकार को ऐसे कानूनी प्रावधानों के बारे में भी सोचना ही होगा जिससे अपराधी, समाज विरोधी तत्वों और आतंकवादियों को इसका लाभ न मिले।

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