Sunday 28 December 2014

दिल्ली विधानसभा चुनाव में होगी मोदी-शाह की अग्निपरीक्षा

झारखंड और जम्मू-कश्मीर के बाद भारतीय जनता पार्टी की नजरें अब दिल्ली के विधानसभा चुनावों पर हैं। 16 साल बाद दिल्ली की सत्ता पर दोबारा काबिज होने को पार्टी बड़ी चुनौती मानकर चल रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं हैं। बकौल पार्टी अध्यक्ष अमित शाह दिल्ली में भाजपा की कड़ी परीक्षा होनी है। जाहिर है कि किसी तरह की चूक से बचने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह चुनावी रणनीति की बागडोर पूरी तरह से अपने हाथ में रखने वाले हैं। आने वाले दिनों में दिल्ली चुनाव को लेकर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे जिससे कि 16 वर्षों के बाद दिल्ली में फिर से भाजपा की वापसी हो सके। झारखंड में पूर्ण बहुमत हासिल करने के बाद अब जम्मू-कश्मीर में भी बहुमत का आंकड़ा जुटाने में पार्टी पूरे प्रयास कर रही है। इन दोनों राज्यों के बाद अब अमित शाह का पूरा ध्यान दिल्ली विधानसभा चुनावों पर है। सूत्रों की मानें तो अमित शाह आम आदमी पार्टी को हल्के में लेने के मूड में नहीं हैं। हाल ही में सामने आए कुछ जनमत सर्वेक्षणों ने भी इस बात की ओर इशारा किया है कि दिल्ली में सीएम के तौर पर अरविन्द केजरीवाल को सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है। हालांकि इनमें भी भाजपा की जीत की बात कही गई है पर पार्टी किसी तरह का खतरा नहीं उठाना चाहती। गुरुवार के दिन अमित शाह ने पार्टी के प्रदेश कार्यालय का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत की। विधानसभा में पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए उन्होंने पार्टी को पूरी तरह से आक्रामक प्रचार में जुटने की सलाह दी। पार्टी नेताओं के बयानों से साफ लगता है कि पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर पूरे उत्साह में है जबकि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की हार ने पार्टी को एक ऐसा साफ सबक दिया है कि अब हर नेता केवल नरेंद्र मोदी के भरोसे चुनाव नहीं जीत सकता। फिर दिल्ली की स्थिति झारखंड और जे एण्ड के से अलग है। दिल्ली में बिजली, पानी, कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे ज्वलंत हैं जिनको केजरीवाल पूरी तरह से भुनाने में लगे हैं। उधर कांग्रेस भी यह उम्मीद कर रही है कि शायद दिल्ली से पार्टी की घर वापसी होगी। बेशक नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अब भी है पर यह घट रही है। अकेले मोदी वेव पर पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकती। फिर भाजपा यह भी नहीं बता रही कि अगर वह जीती तो मुख्यमंत्री कौन होगा? इसके फायदे भी हैं, नुकसान भी। बिना सीएम घोषित किए चुनाव लड़ना मोदी-शाह की नई थ्यौरी है। दिल्ली विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बुधवार को दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, जिलों के निर्वाचन अधिकारियों और पुलिस के आला अफसरों के साथ बैठक की और चुनाव संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। भाजपा सूत्रों का कहना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव फरवरी 2015 में हो सकते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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