Friday 26 December 2014

भारत के सर्वाधिक करिश्माई नेता अटल बिहारी वाजपेयी

अटल जी को भारत रत्न दिए जाने से जितनी खुशी हमें हो रही है उनका हम शब्दों में वर्णन नहीं कर सकते। अटल जी हमारे हमेशा करीब रहे हैं। सभी को मालूम है कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी दैनिक वीर अर्जुन के सम्पादक भी रह चुके हैं। अटल जी की सबसे बड़ी खूबी यह रही कि वह मानवतावादी के प्रतीक हैं, क्योंकि हृदय से वह एक कवि हैं। राजनेताओं के दुर्गुणों के दुर्गुणों से मुक्त व्यक्ति हैं। उन्होंने कभी भी किसी भी दल से व्यक्तिगत विरोध नहीं किया। विरोध करने का भी अपना अंदाज है। मुझे याद है कि एक बार मैंने एक उग्र लेख लिखा था जिसका शीर्षक था ः देश को अटल जी चला रहे हैं या ब्रजेश मिश्रा? अटल जी ने तुरन्त मुझे फोन किया और कहाöसम्पादक महोदय देश कौन चला रहा है? और फिर हंस दिए। यह था उनका विरोध करने का तरीका। मेरी नजर में अटल जी भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्रियों में से एक थे। पोखरण-2 जब होना था तो अमेरिका सहित कुछ देशों ने इसका जमकर विरोध किया था। अटल जी ने इनके विरोध की परवाह नहीं की और परमाणु परीक्षण कर डाला। जब परमाणु परीक्षण हो गया तो अमेरिका के नेतृत्व में उनके पिछलग्गू देशों ने भारत पर आर्थिक पाबंदियां, इकोनॉमिक सैंक्शंस लगा दिए। इन प्रतिबंधों से भारत की अर्थव्यवस्था को डगमगाने का खतरा था। अटल जी विचलित नहीं हुए और उन्होंने अप्रवासी भारतीयों से देश की मदद करने की अपील की। उस अपील का असर यह हुआ कि करोड़ों डॉलर इन एनआरआई ने इकट्ठे करके भारत भेज दिए। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं हुआ। अप्रवासी भारतीयों के सम्मेलन की भी शुरुआत अटल जी ने ही की थी जो आज तक चल रहा है। 2004 में अटल जी की सरकार ने 6.5 फीसदी ग्रोथ रेट कर लिया था और महंगाई भी सिर्प 3.5 फीसदी थी। इसके बाद यह बढ़ता ही गया और फिर कभी यह ग्रोथ रेट व महंगाई की दर इतनी नहीं हो सकी। अटल जी उदारवादी नेता हैं। जब वह जनता पार्टी की सरकार में विदेश मंत्री थे तो उन्होंने पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लिए पाकिस्तान का वीजा आसान कर दिया था। इससे हिन्दुस्तानियों को पाकिस्तान जाने में आसानी हो गई। पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने के उद्देश्य से वह लाहौर बस में गए पर मुशर्रफ ने भारत की पीठ में छुरा घोंपकर कारगिल करा दिया। मुझे अटल जी के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ में भाषण देने के लिए अमेरिका जाने का अवसर मिला। यह ट्रिप मैं कभी नहीं भूल सकता। संयुक्त राष्ट्र में अटल जी ने जब हिन्दी में भाषण दिया तो उनकी शैली को देखकर सभी मौजूद डेलीगेट्स, शासनाध्यक्ष मुग्ध हो गए। अटल जी के प्रयासों का नतीजा था कि हिन्दुस्तानियों को अरब देशों में जाने की सुविधा मिली। इससे लाखों हिन्दुस्तानी अरब देश गए, वहां उन्होंने नौकरियां कीं और पैसा घर भेजना शुरू कर दिया। यह सिलसिला आज भी जारी है। भारत के सर्वाधिक करिश्माई नेताओं में शुमार अटल बिहारी वाजपेयी का देश की राजनीतिक पटल पर एक ऐसे विशाल व्यक्तित्व वाले राजनेता के रूप में सम्मान किया जाता है जिनकी व्यापक स्तर पर स्वीकार्यता है और जिन्होंने तमाम अवरोधों को तोड़ते हुए 90 के दशक में राजनीति के मुख्य मंच पर भाजपा को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वीर अर्जुन पर अटल जी ने अमिट छाप छोड़ी है। वीर अर्जुन के सम्पादकीय पेज पर सबसे ऊपर संस्कृत का यह श्लोक लिखा जाता है ः अर्जुनस्य प्रतिज्ञे द्वै, न दैन्यं, न पलायनम्। अटल जी ने लोकसभा में अपना त्याग पत्र देने से पहले आखिरी बात यह श्लोक कहकर इस्तीफा देने राष्ट्रपति भवन चल दिए। हमने इस श्लोक को अपना लिया और वीर अर्जुन के सम्पादकीय पेज पर सबसे ऊपर देकर उन्हीं के रास्ते पर चलने का प्रयास किया। अटल जी को भारत रत्न देने से हम अपने आपको भी बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। अटल जी को दैनिक प्रताप, दैनिक वीर अर्जुन व सांध्य वीर अर्जुन की ओर से ढेर सारी बधाई।

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