Tuesday 23 December 2014

मुझे तो अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था, मेरी किश्ती वहां डूबी जहां पानी कम था

हिन्दुत्व और धर्म परिवर्तन, घर वापसी समेत तमाम मामलों पर पार्टी और आरएसएस परिवार से जुड़े नेताओं के विवादित बयानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी आहत हैं। उन्होंने संघ और पार्टी के शीर्ष नेताओं को संकेत दिया कि यदि यही स्थिति बनी रहती है तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने संघ के नेताओं से बैठक में कहा कि मुझे पद का मोह नहीं है। हिन्दी फिल्म की यह मशहूर पंक्तियांöमुझे तो अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था, मेरी किश्ती वहां डूबी जहां पानी कम था, मोदी पर बिल्कुल सटीक बैठ रही है। मोदी सरकार को केंद्र में आए छह महीने भी नहीं हुए, लेकिन इस समय जितनी आलोचना संघ और उससे जुड़े संगठनों ने की उतनी तो खुद विपक्षी दल भी नहीं कर पाए। और तो और सरकार की किरकिरी या कहें विपक्ष को मोदी सरकार पर हमले करने का औजार, मुद्दा भी भाजपा के पावर हाउस माने जाने वाले संघ के लोग उपलब्ध करा रहे हैं। अमूमन किसी भी सरकार का पहला साल हनीमून पीरियड कहा जाता है क्योंकि इस समयावधि में खुद विपक्ष भी सत्ताधारी दल की नीतियों और उनके द्वारा की जाने वाली गलतियों का इंतजार करता है। इसके बाद ही सरकार के कामकाज के आधार पर उसकी आलोचना शुरू होती है परन्तु यहां तो स्थितियां बिल्कुल उलटी ही हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े विभिन्न संगठनों ने घर वापसी के नाम पर जैसी हड़बड़ी और दिखावे का प्रदर्शन किया है उससे देश-दुनिया को एक गलत संदेश तो गया ही हैसाथ ही भाजपा विरोधी राजनीतिक दलों को दुप्रचार करने का मौका भी मिला है। जब उचित तरीके से किए गए धर्मांतरण या फिर घर वापसी पर किसी तरह की पाबंदी नहीं तब फिर किसी भी संगठन के लिए यह उचित नहीं कि वह इस मामले पर लक्ष्य करता और अभियान छेड़ता नजर आए। कथित घर वापसी के सन्दर्भ में इस तरह की घोषणाएं तो घोर आपत्तिजनक हैं कि हम अमुक वर्ष तक सबको हिन्दू बना देंगे। ऐसी घोषणाएं देश के साथ-साथ हिन्दू धर्म की बदनामी का कारण बन रही हैं, जो अपनी उदारता और सहिष्णुता के लिए अधिक जाना जाता है। मोदी का सिरदर्द सिर्प संघ में ही नहीं बल्कि उनके घर में  बैठे लोग भी पैदा कर रहे हैं। इस कड़ी में पहला नाम साध्वी निरंजन ज्योति का है तो दूसरा साक्षी महाराज का। अभी मोदी सांसदों पर नियंत्रण कर ही रहे थे कि भाजपा के बुजुर्गवार उत्तर प्रदेश के महामहिम ने राम मंदिर का राग छेड़कर सरकार के सामने नई मुसीबत पैदा कर दी। इतने बवाल के बाद भी लगता है कि संघ के लोगों ने अभी कोई सबक नहीं लिया है, कम से कम संघ प्रमुख मोहन भागवत के कोलकाता में धर्म परिवर्तन पर दिए गए बयान को देखते हुए तो नहीं लगता। मोदी ने संघ के नेताओं से कहा कि इस तरह के बयानों से सरकार की छवि धूमिल हो रही है। भाजपा का तर्प है कि सरकार गुड गवर्नेंस के मुद्दे पर जीत कर आई है और इस तरह की बयानबाजी से मोदी सरकार की कट्टर छवि बनने का खतरा है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी की संसदीय दल की बैठक में भी मोदी ने कड़े शब्दों में इस तरह के बयानों से बचने के लिए कहा था लेकिन उसके फौरन बाद ही योगी आदित्यनाथ ने फिर विवादित बयान दे दिया। पार्टी नेताओं का कहना है कि संघ को यह भी बताया गया कि अगर इसी तरह से विवाद चलते रहे तो किसी भी समय दिल्ली विधानसभा के चुनाव की घोषणा और 2017 में यूपी का मिशन फेल हो सकता है। इससे संघ की योजनाओं को भी धक्का लगेगा। धारणा यह बन रही है कि मोदी सरकार के सत्ता में आते ही संघ का कब्जा हो रहा है। वैसे यह संदेश अकारण नहीं कि धर्मांतरण अथवा घर वापसी में कहीं न कहीं लोभ-लालच की भी भूमिका होती है। इन स्थितियों में यह अब आवश्यक हो गया है कि धर्मांतरण संबंधी कानून को दुरुस्त किया जाए। इससे भी कहीं अधिक आवश्यक यह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे संबंधित संगठन यह समझें कि यदि वह मोदी सरकार के शुभचिंतक हैं तो घर वापसी व अन्य ऐसे मुद्दों का परित्याग करें। मोदी सरकार को मोदी के विकास एजेंडे पर चलने दें और बेवजह उसे उलझाए न रखें। यह सब विवादित मुद्दे बाद में भी उठाए जा सकते हैं, सरकार को सही मायनों में जमने तो दें।

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