Wednesday, 3 December 2014

रिश्तेदारी से लिखी जाएगी सियासी पटकथा

समाजवादी प्रमुख मुलायम सिंह यादव जब शुक्रवार को संसद पहुंचे तो पत्रकारों ने उनके पोते और लालू प्रसाद यादव की बेटी की शादी की खबर पर सवाल किया। नेता जी कुछ नहीं बोले, बस मुस्करा कर रह गए। उनकी मुस्कराहट में बनते रिश्ते की चमक साफ दिख रही थी। उनके बगल में खड़े एक सीनियर जेडीयू नेता ने चुटकी लीöदो यादव मिल रहे हैं, मगर चुपके-चुपके। दरअसल खबर आई है कि मुलायम सिंह यादव के पोते तेज प्रताप और लालू की बेटी राज लक्ष्मी की शादी हो सकती है। भारतीय राजनीति के यह धुरंधर यादव जल्द ही समधी बन सकते हैं। दोनों की रिश्तेदारी पर 16 दिसम्बर को मुहर लग जाएगी। दोनों परिवारों के बीच रिश्तेदारी का पहला विचार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मन में आया। रिश्ते की नींव गाजियाबाद के एक नेता व लालू प्रसाद यादव के रिश्तेदार ने रखी। 27 वर्षीय तेज सपा मुखिया के सबसे चहेते पारिवारिक सदस्यों में हैं। इसलिए मैनपुरी संसदीय सीट से इस्तीफा देने के बाद मुलायम ने तेज को ही अपने उत्तराधिकारी के रूप में चुनाव मैदान में उतारा। वह मुलायम के बड़े भाई स्वर्गीय रतन सिंह के पौत्र व सैफई के पूर्व ब्लॉक प्रमुख स्वर्गीय रणवीर सिंह के बेटे हैं। कुछ समय से लालू को लेकर मुलायम का लहजा भी काफी नरम रहा है। तीन नवम्बर को अपने राजनीतिक गुरु चौ. नत्थू सिंह की पुण्यतिथि पर सपा मुखिया ने चारा घोटाले में लालू के जेल जाने पर भी अफसोस जताया था। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक 1977 में भी लालू अपने परिवार का रिश्ता मुलायम परिवार से जोड़ना चाहते थे, लेकिन तब किन्हीं कारणों से बात बनी नहीं। संसद सत्र में शामिल होने आए सांसद तेज प्रताप यादव ने दिल्ली में इस रिश्ते की पुष्टि की और कहा कि अभी सगाई की तारीख तय नहीं हुई है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि 16 दिसम्बर को सगाई होगी और फरवरी में शादी होना लगभग तय है। अस्थिर राजनीतिक दौर में मुलायम और लालू दोनों का टारगेट यादवों का सबसे बड़ा नेता बनने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर खुद को स्थापित करना था। 1996 में जब देवगौड़ा के हटने के बाद मुलायम सिंह यादव और ज्योति बसु पीएम की रेस में आए तो सिर्प लालू प्रसाद की वोटों की वजह से मुलायम सिंह पीएम नहीं बन पाए। यहीं से दोनों की राजनीतिक राह अलग हो गई थी। मुलायम और लालू के बीच रिश्तेदारी हो जाने से दोनों को कड़वी यादें भुलाने में मदद मिलेगी। दोनों परिवारों के बीच रिश्तों की बात फैलते ही राजनीतिक हल्कों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या पूर्व जनता दल परिवार फिर एकजुट होगा? लालू और मुलायम यदि एक साथ आते हैं तो सियासत में इसके खास असर हो सकते हैं। दोनों परिवार बिहार और उत्तर प्रदेश में अपना विशेष स्थान रखते हैं और इससे देश की राजनीति भी नई करवट ले सकती है। हालांकि लालू प्रसाद यादव और उनकी पार्टी की बिहार में अब वह स्थिति नहीं रह गई है जो मुलायम की सपा की उत्तर प्रदेश में है इसके बावजूद अभी बिहार की राजनीति में राजद को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है।

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