Friday, 12 December 2014

रूस से भारत की विशेष सामरिक साझेदारी, स्वागत है पुतिन का

भारत के साथ संबंधों को विशेष सामरिक साझेदारी करार देते हुए रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को अपनी भारत यात्रा से पहले भारत-रूस संबंधों में गर्मजोशी खत्म होने को गलत साबित करने के इरादे से भारत यात्रा आरंभ की। हम राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत करते हैं। रूस एक विश्वसनीय और समय पर खरा उतरने वाला देश है जिसने भारत को कभी भी निराश नहीं किया। हां, पिछले कुछ दिनों से दोनों देशों के दशकों पुराने रिश्तों पर संकट के बादल जरूर आ गए हैं। दो दशकों बाद भारत की धरती पर कदम रखते वक्त राष्ट्रपति पुतिन को एक अहम जिम्मेदारी के बोझ का अहसास हो रहा होगा कि दोनों देशों के दशकों पुराने रिश्तों पर संशय के बादलों को कैसे दूर किया जाए? यूकेन मामले में अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने रूस पर जो आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं वे चुभने वाले हैं। पेट्रोल की कीमत में भारी गिरावट ने इस चुभन को ऐसे दर्द में तब्दील कर दिया है जिससे राहत का रास्ता तत्काल खोजना पुतिन के लिए जरूरी बन गया है। चुनौतियों की इन घड़ियों में नजर अपनों को ही खोजती है और भारत से परखा और पुराना दोस्त कौन हो सकता है रूस के लिए। रूस न केवल भारत के रक्षा उपकरणों का सबसे बड़ा बाजार है बन गया बल्कि विकास की पंचवर्षीय योजना तक हमने उसके अनुभवों से हासिल की। इस रिश्ते की असली परीक्षा वर्ष 1971 में पाकिस्तान से  जंग के वक्त हुई थी जब हमें डराने के लिए अमेरिका के भेजे नौसैनिक बेड़े सेवेंच फ्लीट के जवाब में रूस ने अपने जंगी जहाज उतारने की घोषणा कर दी थी। रूस से अब तक के हमारे रिश्तों की बुनियाद का खम्भा रक्षा उपकरणों, जंगी विमानों और जहाजों की खरीद पर टिका था। वह निर्माता था और हम उसके सबसे बड़े खरीददार हुआ करते थे। लेकिन हालात बदल गए हैं और हम अब खरीददार से उत्पादक की हैसियत चढ़ना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने `मेक इन इंडिया' अभियान से इसकी शुरुआत भी कर दी है। राष्ट्रपति पुतिन ने इसे भांप लिया है और इस संक्षिप्त प्रवास में वह संयुक्त रक्षा उत्पादन को आगे बढ़ाएंगे। रूस पेट्रोल और गैस के विशाल भंडार पर बैठा है और भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है। एटॉमिक रिएक्टरों के सौदे में सुरक्षा संबंधी हमारे कानून पर अमेरिका व पश्चिमी देशों को भले ही परेशानी हो लेकिन रूस को कभी भी चिंता नहीं हुई। पुतिन भारत में परमाणु बिजली की श्रृंखला बनाने का इच्छुक है। रूस के सहयोग से बने पुंडनकुलम बिजली घर की एक यूनिट से उत्पादन चल रहा है जबकि दूसरी से शुरू होने वाला है। प्रधानमंत्री मोदी को पुतिन की यात्रा के दौरान इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि 26 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी आ रहे हैं। रूस और अमेरिका में भारत के रिश्तों को संतुलित बनाने की चुनौती होगी। वैसे हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं कि अमेरिका पर हम इतना विश्वास नहीं कर सकते जितना रूस पर। स्वागत है पुतिन साहब का।

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