Tuesday 2 December 2014

चीफ इंजीनियर या हीरों का सौदागर?

चीफ इंजीनियर है या हीरों का सौदागर? मैं बात कर रहा हूं नोएडा अथारिटी के चीफ इंजीनियर यादव सिंह की। यादव सिंह के ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापे मारे और छापों में 10.52 करोड़ रुपए नकद, हीरों के करोड़ों रुपए के गहने मिले हैं। यादव की नोएडा स्थित कोठी में हीरे, सोने और महंगे रत्नों वाले गहनों से सजा शोरूम मिला है। आयकर विभाग ने इन गहनों को जब्त कर लिया है। इन गहनों का वजन दो किलो है। इनकी सही कीमत का आकलन जौहरी से कराया जाएगा। वैसे अपुष्ट सूत्र बताते हैं कि छापे में तीन किलो गहने बरामद हुए। इनमें एक किलो सोने और दो किलो हीरे के गहने हैं। नोएडा विकास प्राधिकरण, यमुना एक्सप्रेस-वे और ग्रेटर नोएडा के चर्चित मुख्य अभियंता यादव सिंह की पत्नी कुसुमलता और उनके साझीदार के सभी ठिकानों पर आयकर टीमों की जांच शुक्रवार देर रात तक चलती रही। कार की डिग्गी में पुलिस को 10 करोड़ रुपए के हीरे मिले। अब जांच की सूई इस प्राधिकरण के निर्माण कार्यों में हुई कमीशनखोरी की तरफ मुड़ गई है। यह कमीशनखोरी पिछले तीन-चार वर्षों के दौरान कई परियोजनाओं के ठेके आदि हथियाने के लिए हुई बताई जा रही है। जांच के दौरान शुक्रवार सुबह छह बजे कुसुमलता के साझीदार राजेन्द्र मनोचा के नोएडा के सेक्टर-12 स्थित आवास पर एक कार की चाबी मिली। इस चाबी से जब कार खोलकर उसकी तलाशी ली गई तो उसकी डिग्गी में 10 करोड़ रुपए की नकदी बरामद हुई। लग्जरी गाड़ियों के काफिले के साथ नीली बत्ती लगी एक सरकारी कार, डरा-से देने वाले कद-काठी के काले सफारी सूट में निजी सुरक्षा गार्ड, उनके कमर में कमीज के नीचे लगी प्वाइंट 9एमएम की पिस्तौलें, हाथों में तीन-चार मोबाइल फोन। घनघनाती घंटियां और पंचम तल से आते फरमान। जी हां जानकार बताते हैं कि यादव सिंह का तिलिस्म कुछ ऐसा ही था। उन्हें करीबी जानकार वाईएस के नाम से पुकारते, आपस में जिक्र होता था तो वाईएस का...। बड़े से बड़े बिल्डर, क्या नेता, क्या आईएएस हर कोई यादव सिंह की एक मेहरबानी का मौहताज-सा रहता था। वक्त के साथ प्रदेश में सरकार बदली और मौजूदा सरकार के आने के बाद यादव सिंह दिक्कत में आए। कभी ऐसा जलवा कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा अथारिटी हो या फिर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के प्रमुख वाईएस से बात करने के लिए तरस जाते। उन्हें कई-कई घंटों क्या कभी तो कई दिन लग जाते। वाईएस का जलवा था कि चेयरमैन की कोई हैसियत नहीं रह गई थी। हम उद्योगपतियों को बेकार बदनाम करते हैं पर नौकरशाहों के कितने घपले हैं यह तभी पता चलता है जब इनके यहां छापे पड़ते हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा व एक्सप्रेस-वे के निर्माण में लगता है कि दबाकर रिश्वतखोरी हुई है। यह तो एक यादव सिंह पकड़ा गया है न जाने और कितने यादव सिंह उत्तर प्रदेश के इस क्षेत्र में हैं?

No comments:

Post a Comment