Wednesday, 10 December 2014

श्रमिक हड़ताल से पीएम मोदी के मेक इन इंडिया को धक्का लगेगा

जिस तरह से विभिन्न क्षेत्रों के श्रमिक हड़ताल पर उतारू हैं उससे जहां देश के उत्पादन पर असर पड़ता है वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान को भी धक्का लग सकता है। पिछले दिनों बैंकों की हड़ताल ने पूरी आर्थिक व्यवस्था को धक्का लगा दिया था। अब अगर लाखों श्रमिक हड़ताल की योजना बना रहे हैं तब नई चीजों का निर्माण और अधिक उत्पादन की कल्पना को क्षति पहुंच सकती है। कोयला, बंदरगाह, रक्षा उत्पादन इकाइयों और रेल में काम करने वाले श्रमिक 11 दिसम्बर को बड़ी हड़ताल की तैयारी कर रहे हैं। बैंक में दो दिसम्बर से पांच दिसम्बर तक अलग-अलग शहरों में हड़ताल रही। इससे पूर्व हड़ताल टालने के प्रयास किए गए लेकिन नाकाफी रहे। अब दूसरे क्षेत्रों के श्रमिक एफडीआई, विनिवेश और सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ हड़ताल करना चाहते हैं। इस बार की हड़ताल बड़ी हो सकती है क्योंकि सभी राजनीतिक दलों के मजदूर संगठन एक साथ हैं। इसके बड़े रहने की यह वजह हो सकती है क्योंकि इसमें कई क्षेत्रों के श्रमिक शामिल हो सकते हैं। कोयला श्रमिक के संगठनों ने दिल्ली में दूसरे संगठनों को कहा है कि वे कोयला का उत्पादन ठप करने पर विचार कर रहे हैं, वहीं बंदरगाह पर काम करने वाले 46,000 श्रमिकों के संगठन कह रहे हैं कि वे माल का लदान और उसका उतारना बंद कर सकते हैं। रक्षा उत्पादन इकाइयों के संगठन भी हड़ताल की तैयारी कर रहे हैं। दूसरे श्रमिक संगठन भी उनके साथ हैं। डाक विभाग के कर्मचारियों ने भी इसी तरह के सहयोग का वादा किया है। हड़ताल को लेकर दिल्ली में लगातार बैठकें हो रही हैं। 11 दिसम्बर को हड़ताल की तारीख तय करने के लिए सारे मजदूर फैडरेशन की बड़ी बैठक दिल्ली में रखी गई। नए श्रम और रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय की मजदूर संगठनों के साथ पहले दौर की बातचीत फेल हो गई है। उन्होंने तो मंत्री के इस आग्रह को भी ठुकरा दिया है कि मोदी सरकार के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन नहीं किया जाए। इंटक के अध्यक्ष संजीवा रेड्डी कहते हैं कि सरकार के श्रमिक विरोधी चेहरे को जनता के बीच मिलकर उजागर किया जाएगा। एटक के नेता गुरुदास दास गुप्ता और सीटू के नेता तपन सेन का कहना है कि सड़क पर नहीं संसद में भी श्रमिकों की आवाज बुलंद की जाएगी। कोयला श्रमिकों का विषय पिछले दिनों माकपा सांसद तपन सेन ने राज्यसभा में भी उठाया था, वहीं एचएमएस के महासचिव एमएस सिद्धू ने कहा कि रेल कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं और कोयला, बंदरगाह, रक्षा उत्पादन इकाइयों और डाक समेत कई क्षेत्रों के श्रमिक संगठन साथ हैं इसलिए इस बार की हड़ताल अब तक सबसे बड़ी होगी। उम्मीद की जाती है कि समय रहते मोदी सरकार हड़ताल को टालने और श्रमिक संगठनों की जायज मांगों पर गम्भीरता से विचार करेगी। हड़तालों से चौतरफा नुकसान होता है, फायदा किसी को नहीं होता।

-अनिल नरेन्द्र

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