Wednesday 31 December 2014

`पीके' फिल्म का विरोध और कमाई दोनों बढ़ रही है

आमिर खान की फिल्म पीके को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है। धार्मिक अंधविश्वास और साधु-संतों को निशाने पर लेने वाले आमिर खान की इस फिल्म पर कई हिन्दू संगठनों ने एतराज किया है। कई हिन्दू संगठनों और धर्माचार्यों ने इस पर रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि पीके में हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान किया गया है। धर्माचार्यों में हिन्दू-मुस्लिम दोनों शामिल हैं। हालांकि भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने फिल्म की तारीफ की है। फिल्म में हिन्दू धर्म की मान्यताओं, परंपराओं, बाबाओं और भगवान पर तीखे कटाक्ष किए गए हैं। इस फिल्म पर रोक लगाई जानी चाहिए क्योंकि यह फिल्म हिन्दू धार्मिक मान्यताओं का मजाक उड़ाती है। द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने भी कहा है कि इसमें हिन्दू धर्म का अपमान किया गया है। मुस्लिम धर्मगुरु फिरंगी महली ने भी कहा है कि फिल्म में कई ऐसी बातें हैं जिनसे गंगा-यमुना संस्कृति पर खराब असर पड़ सकता है। योगगुरु बाबा रामदेव ने पीके में हिन्दू देवी-देवताओं के प्रति अपमानजनक टिप्पणी तथा दृश्यों को दर्शाए जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि सिर्प हिन्दू देवी-देवताओं का ही फिल्मों में सर्वाधिक अपमान क्यों किया जाता है? उन्होंने लोगों से अपील की है कि वह पीके का  बहिष्कार करें ताकि हिन्दू धर्म व संस्कृति का अनादर न हो सके। फिल्म को लेकर विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, हिन्दू जन जागृति समिति और अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने विरोध प्रदर्शन किया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने पीके के कुछ दृश्यों से कथित रूप से धार्मिक भावनाएं आहत होने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि देश और प्रदेश का माहौल खराब करने की कोशिशें जारी हैं। ऐसे में फिल्मों में ऐसी चीजें कतई नहीं दिखाई जानी चाहिए। फिरंगी महली ने कहा कि फिल्म पीके में कुछ दृश्यों से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की बातें सामने आ रही हैं। अगर ऐसा है तो यह  बिल्कुल गलत है। अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब किसी के जज्बात को ठेस पहुंचाना नहीं है। अगर फिल्म में ऐसे दृश्य हैं तो सेंसर बोर्ड को उन्हें हटा देना चाहिए ताकि सांप्रदायिक सद्भाव न बिगड़े। उधर सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष लीला सैमसन ने कहा है कि आमिर खान की फिल्म पीके से कोई दृश्य नहीं हटाया जाएगा। सैमसन ने कहा कि फिल्म को रिलीज किया जा चुका है। हर एक फिल्म किसी न किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकती है। इस पर हम सीन हटाकर किसी की रचनात्मकता को खत्म नहीं कर सकते, कोई सीन नहीं कटेगा। दूसरी ओर पीके बॉक्स ऑफिस पर रिकार्ड बिजनेस कर पुराने कलेक्शन रिकार्ड तोड़ रही है। इसी महीने 19 तारीख को रिलीज हुई फिल्म ने नौ दिन में रिकार्ड 214 करोड़ रुपए का कारोबार कर लिया है। आमिर खान ने पीके के बचाव में कहा कि जहां दक्षिणपंथी नेताओं ने मुस्लिम होने की वजह से आमिर खान पर हिन्दू धर्म का अपमान करने का आरोप लगाया और उनकी आलोचना की वहीं उन्होंने जवाब में कहा कि हम सभी धर्म का सम्मान करते हैं। मेरे सभी हिन्दू दोस्तों ने फिल्म देखी है और उन्हें ऐसा नहीं लगता। उन्होंने फिल्म के निर्देशक, निर्माता और पटकथा लेखक की ओर इशारा करते हुए कहा राजू हीरानी हिन्दू हैं, विधु विनोद चोपड़ा और अभिजीत भी हिन्दू हैं। फिल्म निर्माण दल के 99 प्रतिशत लोग हिन्दू हैं। फिल्म का बचाव करते हुए निर्देशक हीरानी ने कहा कि फिल्म का मूल विचार यह है कि हम हिन्दू या मुस्लिम या सिख या ईसाई के जन्मजात निशान के साथ पैदा नहीं होते और हमें निश्चित जीवन शैली और कुछ रीतियों का पालन करना पड़ता है। कुछ साल पहले एक और फिल्म ओह माई गॉड आई थी। उसमें भी ऐसे ही दृश्य दिखाए गए थे। पीके की कहानी भी उस फिल्म से मिलती-जुलती है। एक  बात समझ नहीं आती कि केवल हिन्दू धर्म की मान्यताओं व रीतियों पर ही हमला क्यों होता है, क्या आमिर खान अपने धर्म पर ऐसी फिल्म बना सकते हैं या किसी अन्य धर्म पर?

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