Tuesday 2 December 2014

क्या हम पाकिस्तान की फितरत को समझते नहीं?

पाकिस्तान की फितरत से हमें हैरानी नहीं होनी चाहिए। न ही हमें पाकिस्तान की नापाक हरकत से अचरज में पड़ना चाहिए। एक तरफ पाकिस्तान दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, ठीक उसी समय उसके वफादार आतंकी भारतीय सीमा पर हमला कर देते हैं। जब अटल जी प्रधानमंत्री थे और जब वह लाहौर बस यात्रा पर गए थे तब भी मुशर्रफ हाथ मिला रहा था और ठीक उसी समय कारगिल घुसपैठ हो रही थी। काठमांडू में दक्षेस शिखर सम्मेलन के समापन सत्र में नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ जब गर्मजोशी से हाथ मिला रहे थे ठीक उसी समय हथियारों से लैस सेना की वर्दी में आए आतंकी सीमा के पास अरनिया सेक्टर में गोलियां बरसाते और ग्रेनेड फेंकते हुए सेना के दो बंकरों में घुस गए। इन खाली बंकरों का इस्तेमाल केवल युद्ध के दौरान किया जाता है। हमले में बटाला (पंजाब) निवासी विजय कुमार समेत तीन नागरिक मारे गए। इसके बाद शुरू हुई मुठभेड़ में सेना ने चार आतंकियों को मार गिराया। आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच बृहस्पतिवार सुबह से जारी मुठभेड़ शुक्रवार को तब खत्म हुई जब हमारे सैनिकों ने अंतिम (चौथे) आतंकी को मार गिराया। क्या हम पाकिस्तान की फितरत को समझते नहीं हैं या जानबूझ कर दोस्ती की पींग बढ़ाने का भ्रम पालते हैं? हमें समझना होगा कि पाकिस्तान का जन्म भारत विरोधी कोख से ही हुआ है। उसने शुरू से ही भारत विरोधी घुट्टी पी रखी है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के इस बयान से असहमत होना कठिन है कि पाकिस्तानी आतंकियों की घुसपैठ को इत्तेफाक भर नहीं कहा जा सकता। इसलिए और भी नहीं, क्योंकि जब भी भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह का संवाद-सम्पर्प होना होता है तब जम्मू-कश्मीर में किसी न किसी वारदात को अंजाम दिया जाता है और कुछ नहीं तो संघर्षविराम का उल्लंघन होने लगता है। वैसे भी मियां नवाज शरीफ की यह दुविधा भी है कि वह नाम के पाकिस्तान के सदर हैं पर असल ताकत तो पाकिस्तानी सेना के हाथ में है। वह इन जेहादियों को पालते-पोसते हैं, हथियार समेत सभी तरह की सुविधाएं देते हैं और समय-समय पर इनका भारत के खिलाफ इस्तेमाल करते हैं और पाकिस्तानी सेना और आईएसआई अपना खेल खेलते रहते हैं। यह मानने के ठोस आधार हैं और पर्याप्त कारण है कि सब पाकिस्तानी सेना के इशारे पर हो रहा है। यह संभव नहीं कि आतंकी भारतीय सीमा में घुस आएं और पाकिस्तानी सेना को इस बारे में कुछ पता नहीं हो? पाकिस्तानी सेना के सहयोग और समर्थन के बगैर तो आतंकियों की घुसपैठ हो ही नहीं सकती। फिर ऐसे समय जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो रहे हों। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता पैदा करना चाहेगा। अभी तो पहला चरण पूरा हुआ है। चार चरणों का मतदान बचा हुआ है। इसलिए हमें सीमा पर पूरी चौकसी रखनी होगी। निकट भविष्य में पाक द्वारा घुसपैठ, आतंकी हमलों के लिए तैयार रहना होगा। जो भी हो भारत को पाकिस्तान के प्रति कड़ाई बरतने के साथ-साथ सीमा पर फुल एलर्ट रखना होगा।

-अनिल नरेन्द्र

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