Tuesday 30 December 2014

खलासी का बेटा बना झारखंड का मुख्यमंत्री

टाटा स्टील के जमशेदपुर कारखाने में मजदूर के तौर पर अपना सफर शुरू करने वाले रघुवर दास झारखंड के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं। रविवार को रांची के मोरहाबादी मैदान में एक भव्य समारोह में श्री रघुवर दास एवं उनके मंत्रिमंडल के चार सहयोगियों सीपी सिंह, नीलकंठ सिंह मुंडा, डॉ. लुईस मरांडी और आजसू के चन्द्र प्रकाश चौधरी ने शपथ ग्रहण की। रघुवर दास झारखंड के दसवें मुख्यमंत्री हैं। झारखंड में एक गैर आदिवासी रघुवर दास को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने फिर यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह पिटी-पिटाई लीक पर चलने में नहीं बल्कि लीक तोड़ने में विश्वास करती है। इससे पहले हरियाणा में गैर जाट को मुख्यमंत्री बनाकर वह इस सोच का परिचय दे चुकी है। जब झारखंड का गठन हुआ था तो भी भाजपा ने सरकार बनाई थी। यही नहीं बीते 14 सालों में अधिकांश समय भाजपा ही सत्ता में रही। बाबू लाल मरांडी और अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री रहे। आदिवासी बहुलता राज्य में यह स्वाभाविक भी माना गया। ऐसा पहली बार हो रहा है जब पार्टी  ने रघुवर दास के रूप में किसी गैर आदिवासी को राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया है। टाटा स्टील में मजदूर पिता के मजदूर पुत्र के रूप में जीवन की कठिनाइयां देख चुके रघुवर दास राज्य की चुनौतियों को समझते हैं। पार्टी के जिला स्तर के कार्यकर्ता से लेकर दो बार प्रदेशाध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री के रूप में उनके पास संगठन और शासन का व्यापक अनुभव है लिहाजा चुनौतियों से जूझने का वह माद्दा भी रखते हैं। हालांकि राज्य में भाजपा अपने बूते बहुमत नहीं ले पाई और सरकार चलाने के लिए वह आजसू के समर्थन पर निर्भर रहेगी। इसके बावजूद रघुवर दास झारखंड के कदाचित पहले मुख्यमंत्री होंगे जिनके सामने अस्थिरता जैसी न चुनौती होगी, न भीतरघात की उतनी आशंका। लेकिन मुख्यमंत्री पद उनके लिए फूलों की सेज भी नहीं होगा यह सिर्प गैर आदिवासी होने के कारण नहीं बल्कि सबसे ज्यादा इसलिए कि केंद्र में अपनी ही पार्टी की बहुमत सरकार होने के कारण अपनी विफलता के लिए वह किसी और को दोष नहीं दे पाएंगे। गैर आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में उनका कामकाज ऐसा हो कि आदिवासियों को यह महसूस करने का मौका न मिले कि उनकी बिरादरी का मुख्यमंत्री नहीं बना। इसके लिए पिछड़े झारखंड में अतिपिछड़े आदिवासी समुदाय की समग्र उन्नति के साथ उनसे आत्मीय संबंध बनाना एक चुनौती होगी। बढ़ते नक्सलवाद की दूसरी बड़ी चुनौती इसी से जुड़ी हुई है। झारखंड उन राज्यों में से है जहां शिक्षा, रोजगार, सिंचाई, महिला कल्याण, आदिवासियों को बेहतरी और नक्सल उन्मूलन जैसे कई मुद्दों पर बुनियादी काम करना होगा। करीब डेढ़ दशक में नौ मुख्यमंत्री और तीन बार राष्ट्रपति शासन देख चुका यह राज्य भ्रष्टाचार से आजिज आ चुका है और नई शुरुआत की आकांक्षा है। इसीलिए जनता ने पुराने दिग्गजों को हराकर भाजपा को एक अवसर दिया है। देखें, झारखंड के नए मुख्यमंत्री के सामने भ्रष्टाचारविहीन विकास के साथ-साथ आदिवासियों और पिछड़े लोगों को विकास की मुख्य धारा में लाने का भी काम रघुवर दास को करना होगा। श्री रघुवर दास को बधाई।

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