Thursday, 4 December 2014

माणिक सरकार की अनूठी पहल का स्वागत है

हमने सोमवार को एक ऐसा सियासी नजारा देखा जिसकी हम तारीफ करने से रुक नहीं सकते। त्रिपुरा के मार्क्सवादी मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने पदेश के विकास में राजनीति से उढपर उठने का नायाब उदाहरण पेश किया जब उन्होने पधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्यौता दिया कि वह उनकी कैबिनेट के सदस्यों और विधायकों को अगरतला में संबोधित करें और उन्हें गुड गवर्नेंस का पाठ पढ़ाएं। बता दें कि कम्युनिस्टों का आखिरी किला बचा है त्रिपुरा में। दक्षिणपंथी पधानमंत्री को वामपंथी मुख्यमंत्री द्वारा न्यौता देने का उदाहरण भारत की सियासत में नई परंपरा है। वैचारिक रूप से भाजपा और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पाटी दो विपरीत, बल्कि परस्पर विरोधी धुरियों में मौजूद है। केंद्र की भाजपा सरकार के कुछ कदमों के खिलाफ त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने खासी सकियता दिखाई है। मसलन मनरेगा को कथित रूप से सीमित करने के पयासों के विरुद्ध वे सड़कों पर उतरे। इसके बावजूद जब पधानमंत्री बिजली कारखाने का उद्घाटन करने त्रिपुरा गए तो उन्होंने उचित समझा कि उन्हें अपने मंत्रिमंडल से संवाद के लिए बुलाया जाए। देश में मार्क्सवादी पाटी की सरकार अब सिर्फ त्रिपुरा में ही रह गई है और माणिक सरकार की यह पहल आज के राजनीतिक माहौल में अलग ही मायने रखती है। हालांकि एक वामपंथी मुख्यमंत्री का यह फैसला राजनीतिक तबके को हजम नहीं हो रहा है। कहा जा रहा है कि देशभर में लेफ्ट पॉलिटिक्स के कमजोर होने और अलग-थलग पड़ने से परेशान माणिक सरकार अपने लिए कोई अलग सियासी रास्ता ढूंढ रहे हैं। गौरतलब है कि माकपा और भाजपा के बीच राजनीतिक संबंध कभी नहीं रहे हैं। दोनों की राजनीति दो ध्रुवों पर चलती है और दोनों के बीच हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा है। इसके बावजूद माणिक सरकार की यह पहल भाजपा के लिए अनोखी है। मुख्यमंत्री ने सुशासन और स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ी पधानमंत्री की सोच पर सीधा संवाद करने की मंशा जताई। इससे मिसाल कायम हुई। ऐसे अवसर लगातार निर्मित हों तो राजनीतिक रूप से विरोधी दलों और नेताओं को एक-दूसरे के नजरिए समझने का कारगर जरिया मिलेगा। मसलन त्रिपुरा की वाम सरकार को मनरेगा या अन्य सामाजिक कल्याण की अन्य योजनाओं पर केंद्र के रुख से शिकायत है तो इससे बेहतर क्या होगा कि वे अपने दृष्टिकोण को सीधे पधानमंत्री के सामने रखें? इसलिए अपनी ईमानदारी और सादगी के लिए पसिद्ध माणिक सरकार की इस पहल ने सारे देश का ध्यान खींचा है। दरअसल यह एक ऐसा कदम है जिससे केंद्र-राज्य संबंधों को सुचारू बनाने की दिशा में एक अहम शुरूआत हो सकती है। राजनीतिक मतभेद के कारण केंद्र और राज्य सरकार का अकसर टकराव बना रहता है, खासकर जब केंद्र और राज्यों में अलग-अलग विचारों की सरकारें हों। माणिक सरकार ने यह साबित कर दिया कि सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है राज्य का विकास और इसके लिए वह पाटी की परंपरा, विचारधारा से ऊपर उठने को तैयार हैं। इस पहल का हम स्वागत करते हैं।

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