Tuesday 21 August 2018

पाक सेना पमुख को गले लगाकर बुरे फंसे सिद्धू

टंगधार में एलओसी पर शनिवार सुबह एक तरफ पाकिस्तानी सेना भारतीय चौकियों पर गोले बरसा रही थीं, वहीं लगभग उसी दौरान पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू इमरान खान के शपथ समारोह में पाक सेना पमुख कमर जावेद बाजवा के गले मिलकर उनके कसीदे पढ़ रहे थे। सिद्धू की हर तरफ किरकिरी हो रही है। समारोह में शिरकत करने पाक राष्ट्रपति के आवास पहुंचे सिद्धू को देखकर बाजवा उनके पास आए और गले लगाकर स्वागत किया। इसके बाद बाजवा ने दोबारा सिद्धू को गले लगाकर पीठ थपथपाते हुए विदा ली। सिद्धू की पूर्व पधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर राष्ट्रीय शोक घोषित होने के बावजूद पाकिस्तान जाने पर पहले ही आलोचना हो रही है। उत्तरी कश्मीर के टंगधार में शनिवार सुबह 11 बजे पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना पर जमकर गोलीबारी की। हालांकि भारतीय सेना ने भी उसे मुंह-तोड़ जवाब दिया। भाजपा पवक्ता संबित पात्रा ने उस समारोह में सिद्धू के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के राष्ट्रपति मसूद खान व पाक सेना पमुख बाजवा से गले मिलने की आलोचना करते हुए सवाल किया कि क्या सिद्धू ने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से इसकी अनुमति ली थी? किकेटर से पधानमंत्री तक पहुंचे इमरान के शपथ ग्रहण समारोह में सिद्धू के साथ कपिल देव और सुनील गावस्कर को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन केवल सिद्धू ही गए। चूंकि सिद्धू इस समय पंजाब सरकार में मंत्री भी हैं ऐसे में उनके मसूद खान व जनरल बाजवा से गले fिमलने पर आपत्ति जताई जा रही है। पात्रा का कहना था कि जनरल बाजवा को गले लगाते वक्त क्या सिद्धू को यह याद नहीं रहा कि कैसे पाकिस्तानी सेना अकारण गोलाबारी कर भारतीय जवानों व निर्देष लोगों की जान ले रही है? शपथ ग्रहण समारोह में जब सिद्धू को गुलाम कश्मीर के राष्ट्रपति के बगल में बैठने के लिए सीट दी गई तो उन्होंने इसका विरोध क्यों नहीं किया? अटल जी के निधन से जहां पूरा देश राष्ट्रीय शोक मना रहा था वहीं सिद्धू इमरान खान के शपथ समारोह में जश्न मना रहे थे। क्या यह शर्मनाक नहीं है? बाजवा से गले मिलने पर नवजोत सिंह सिद्धू ने सफाई दी है। सिद्धू ने कहा, मैं राजनेता नहीं, दोस्त की हैसियत से आया हूं। जनरल साहब ने मुझे गले लगाया और कहा वह शांति चाहते हैं। खान साहब (इमरान) ने कहा कि आप शांति के लिए एक कदम चलो तो मैं दो कदम चलूंगा। कांग्रेस पवक्ता राशिद अलवी का कहना था कि अगर सिद्धू मुझसे पूछते तो मैं पाकिस्तान जाने से उन्हें इस समय मना कर देता। दोस्ती देश से बड़ी नहीं है। सीमा पर हमारे जवान मारे जा रहे हैं, ऐसे में सिद्धू का पाक सेना पमुख बाजवा से गले मिलना गलत है। सरकार को भी उन्हें पाकिस्तान जाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी। पाकिस्तान के नए पधानमंत्री इमरान खान ने शपथ ग्रहण के बाद शनिवार को अपने 20 सदस्यीय मंत्रिमंडल की घोषणा कर दी, जिसमें 3 महिलाएं शामिल हैं। इसमें इस्लामाबाद की शिक्षाविद् डा. शिरीन माजरी भी हैं, जिन्होंने कारगिल युद्ध खत्म होने के तीन महीने बाद अक्तूबर 1999 में एक लेख में पाकिस्तान सरकार को भारत पर परमाणु हमला करने की सलाह दी थी। उन्हें विदेश या रक्षा मंत्रालय मिलने की चर्चा थी। उन्हें मानवाधिकार मंत्रालय दिया गया है। पाकिस्तान के इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेन्टेनिक स्टडीज की पूर्व महानिदेशक डा. माजरी इमरान की पार्टी की विदेश नीति की इंचार्ज भी रही हैं। कोलंबिया विवि से विदेश नीति, सैन्य इतिहास पर पीएचडी कर चुकीं माजरी द नेशन अखबार की संपादक भी रह चुकी हैं। एक अमेरिकी पत्रकार को सीआईए जासूस बताने के लिए माजरी को आलोचना का शिकार होना पड़ा था। खैर सिद्धू जी ने एक विवाद खड़ा कर दिया है। एक ऐसा विवाद जो उनके गले मिलने से उत्पन्न हुआ है। उनके इस विवाद से उनकी पार्टी कांग्रेस को भी कटघरे में खड़ा करा जा रहा है, जबकि मुझे लगता है कि इसका कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं। सिद्धू का पाकिस्तान जाना उनका अपना फैसला था और रही बात गले मिलने की तो इससे बचा जा सकता था। पीओके के राष्ट्रपति के साथ वाली सीट पर जानबूझकर उन्हें बिठाया गया ताकि इसका सियासी फायदा उठाया जा सके। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी इसका विरोध किया है। उन्होंने कहा मैं जनरल को गले लगाने का विरोध करता हूं। रोज हमारे जवान शहीद हो रहे हैं और ऐसे समय पर वह पाक आर्मी चीफ को गले लगाते हैं, यह गलत है।


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