Wednesday, 22 August 2018

पानी में तैरते शव, फंसे लोगों को जान बचाने की चुनौती

पानी की खूबसूरत लेनें केरल की खासियत रही हैं। लाखों की संख्या में लोग यहां की खूबसूरती और पानी की इन लेनों का आनंद लेने जाते हैं। पर पानी इतना घातक भी हो सकता है यह पिछले कुछ दिनों से पता चला है। केरल 1924 के बाद पहली बार ऐसी भयावह बाढ़ का सामना कर रहा है, जिसकी किसी ने कल्पना भी न की थी। सदी के भीषण संकट का सामना कर रहे राज्य में आठ अगस्त से अभी तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। पानी में तैर रहे शव रोज मिल रहे हैं। मौसम विभाग ने केरल के 11 जिलों में भारी बारिश की आशंका के चलते रेड अलर्ट जारी किया है। राज्य के 12 जिलों में 3 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं। इन्हें 1568 राहत शिविरों में रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल में बाढ़ की विभीषिका की समीक्षा करने के बाद केरल को तत्काल 500 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है। यह राशि 12 अगस्त को गृह मंत्रालय द्वारा 100 करोड़ रुपए देने की घोषणा से अलग है। बाढ़ की वजह से हुई जान-माल की क्षति पर दुख व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बाढ़ में फंसे  लोगों को बाहर सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की हमारी पहली प्राथमिकता है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने ट्वीट किया है कि प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक राज्य को इस बाढ़ की वजह से 79512 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। प्रभावित इलाकों के बाद बाढ़ का पानी घटने के बाद ही वास्तविक क्षति का अनुमान लगाया जा सकता है। यह पहली बार हुआ है कि राज्य के सभी जिले रैड अलर्ट पर हैं और यह भी पहली बार है जब किसी प्राकृतिक आपदा के कारण इस बार ओणम जैसे विश्व प्रसिद्ध त्यौहार केरल नहीं मना सकेगा। एक ऐसा त्यौहार जिसमें देश-विदेश से पर्यटक जुटते हैं और यह राज्य के लिए सबसे बड़ी पर्यटन कमाई का जरिया भी होता है। चिन्ता की बात है कि राज्य के 35 बांधों के फाटक खोलने के बावजूद सभी बांधों के पानी का स्तर खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है। यह बाढ़ चेतावनियों के साथ कई नए सबक दे रही है। केरल का उदाहरण बता रहा है कि देश को अब पर्यावरण पर सिर्प बहस तक सीमित न रखकर सही अर्थों में पर्यावरण संतुलन बनाने के तरीके अविलंब अपनाने होंगे। ग्लोबल वार्मिंग का असर पूरे विश्व में हो रहा है। यहां तो थोड़ी ज्यादा बारिश हो जाती है तो सड़कों पर इतना पानी बहने लगता है कि आवाजाही मुश्किल हो जाती है। कठिन परीक्षा के दौर में केरल को हर तरफ से मदद और दुआओं की भी जरूरत है। आज केरल देश से कुछ मायनों में कट गया है। फंसे लोगों को निकालने के लिए हैलीकॉप्टरों और बोट की सख्त जरूरत है। केरल की इस प्राकृतिक मार में सारा देश एकजुट है और सभी को अपने-अपने तरीकों से मदद करनी चाहिए।

-अनिल नरेन्द्र

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