Sunday 26 August 2018

बोफोर्स की बदनामी का राफेल डील से बदला

पिछले कुछ समय से जिस तरह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार को तथाकथित राफेल सौदे पर घेर रहे हैं उससे तो यही लगता है कि कांग्रेस ने फैसला कर लिया है कि इस मसले को पहले तो चार राज्यों की विधानसभा चुनाव में और फिर चुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव में भुनाने का इरादा रखते हैं। कांग्रेस राफेल को एक बड़ा मुद्दा बनाना चाहती है। राहुल ने राफेल डील की असलियत सामने लाने के लिए सीनियर कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री जयपाल रेड्डी के नेतृत्व में एक छह सदस्यीय टीम बनाई है, जो सिर्प इस मुद्दे पर भाजपा और मोदी सरकार पर हमला करेगी। कांग्रेस की रणनीति लगती यह है कि एक ओर मीडिया के जरिये लगातार मोदी सरकार पर दबाव बनाकर न केवल उनसे इस मुद्दे पर जवाब मांगा जाए, बल्कि इस मामले पर देश के कोने-कोने में आंदोलन के जरिये लोगों के बीच मुद्दा बनाया जाए। कांग्रेस का राफेल को मुद्दा बनाने के पीछे कारण कहीं न कहीं भाजपा से बोफोर्स डील पर हुई फजीहत का बदला लेना भी माना जा रहा है। बोफोर्स की आंच न केवल तत्कालीन पीएम राजीव गांधी और सरकार, बल्कि सीधे गांधी परिवार के दामन तक पहुंची थी। इसलिए राफेल सौदे को उठाकर कांग्रेस भाजपा को ठीक उसी तरह घेरना चाह रही है जैसे भाजपा ने बोफोर्स पर राजीव गांधी सरकार को घेरा था। कांग्रेस प्रवक्ता तो अब सीधे प्रधानमंत्री पर निशाना साध रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता आरपीएन सिंह ने राफेल सौदे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला करते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि इस सौदे को एक उद्योगपति के लिए बदला गया और इसका सीधा लाभ मोदी को हुआ और उनकी जेब में गया। प्रवक्ता ने कहा कि मोदी ने कांग्रेस सरकार के समय राफेल विमानों की खरीद को लेकर किए गए सौदे को बदल कर एक उद्योगपति को 130 लाख करोड़ रुपए का काम दिलवाया है। यह सब इस  बात को नजरअंदाज कर दिया गया है कि उस उद्योगपति की कंपनी को इस क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है। इस उद्योगपति ने विमान सौदे तय हने से महज 12 दिन पहले ही इस कंपनी का गठन किया था। सरकार ने इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया कि उद्योगपति की कंपनियों पर बैंकों का 45 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। उधर भाजपा के दो पूर्व मंत्रियों अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने राफेल सौदे को अब तक का सबसे बड़ा रक्षा घोटाला बताया है। इन तीनों ने मीडिया के सामने कुछ दस्तावेज पेश किए। शौरी ने बोफोर्स घोटाले की तुलना में राफेल को अब तक का सबसे बड़ा रक्षा घोटाला बताया। उन्होंने इसकी सीएजी से तीन महीने में जांच कराने की मांग की। दिल्ली के प्रेस क्लब में बुलाए संवाददाता सम्मेलन में शौरी, सिन्हा और भूषण ने दावा किया कि जिस राफेल को कम पर खरीदने की बात बताई जा रही है, वह सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि जिस राफेल सौदे में 126 जहाज 679 करोड़ से लेकर 715 करोड़ रुपए के बीच खरीदे जाने का सौदा मोदी सरकार ने 1660 करोड़ रुपए प्रति विमान खरीदने का सौदा किया है। सरकार इसकी असल कीमत छिपा रही है। उन्होंने दावा किया कि यह 36 जहाज भी 2022 तक भारत को मिलेंगे। इसमें मेक इन इंडिया की भी बात गायब है। शौरी ने कहा कि सरकार की गाइडलाइन कहती है कि ऐसा कोई करार चाहे वह जिस भी कीमत का हो, रक्षामंत्री की मंजूरी से होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो यह करार गलत है और अगर हुआ तो सरकार यह नहीं कह सकती कि केवल रिलायंस और डिसाल्ट के बीच का सौदा है। जैसे-जैसे विधानसभा और लोकसभा के चुनाव करीब आते जाएंगे कांग्रेस इस मुद्दे पर मोदी सरकार पर और तीखे हमले करेगी और इसके जरिये मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास करेगी।

-अनिल नरेन्द्र

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