रिजर्व बैंक ने दो महीने
में दूसरी बार बुधवार को रेपो रेट 0.25 प्रतिशत
बढ़ाया। इसकी मुख्य वजह महंगाई है। खुदरा महंगाई जून में पांच प्रतिशत थी। सरकार और
आरबीआई ने इसके लिए चार प्रतिशत का लक्ष्य तय किया था। लेकिन आठ महीने यानि नवम्बर
2017 से यह लगातार चार प्रतिशत से ऊपर है। आरबीआई द्वारा रेपो दर में
बढ़ोतरी कतई अपेक्षित नहीं है। बैंक का मुख्य फोकस में से एक अभी महंगाई दर को नियंत्रण
में रखना है। यह अनुमान पहले से था इस बार रेपो दर 6.5 प्रतिशत
और रिवर्स रेपो दर 6.7 प्रतिशत हो जाएगा। इससे पहले जून में आरबीआई
ने चार साल से भी ज्यादा समय बाद दर बढ़ाया था। जून में रिजर्व बैंक ने कहा था कि भविष्य
में दर बढ़ाने का कदम कृषि उपज के समर्थन मूल्य, तेल मूल्यों
की स्थिति, सरकारी कर्मचारियों को ज्यादा भत्ता आदि के असर से
तय होगा। कच्चे तेल के दाम बढ़ने, पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने और बरसात से महंगाई बढ़ी है। दिल्ली-एनसीआर में पिछले दिनों हुई बारिश के बाद सब्जियों की कीमतों में काफी उछाल
आया है। दिल्ली के आजादपुर समेत अन्य थोक बाजारों में आवक कम होने की वजह से हरी सब्जियों
के दामों में 10 से 20 रुपए प्रति किलो
की बढ़ोतरी हुई है। इस संबंध में किसानों का कहना है कि बारिश के बाद दिल्ली-एनसीआर के आसपास के खेतों में पानी भर गया था जिससे सब्जियों की फसल को काफी
नुकसान पहुंचा है। साथ ही यमुना खादर में बाढ़ की स्थिति बनने से भी सब्जियों की फसल
प्रभावित हुई है। दिल्ली के न्यू अशोक नगर में सब्जी बेचने वाले एक व्यक्ति ने बताया
कि वह गाजीपुर मंडी से सब्जी लाता है। उसने बताया कि पुंदरु के दामों में प्रति बोरा
400-500 रुपए का इजाफा हुआ है। यमुना खादर में आई बाढ़ की वजह से किसान
सस्ते में मिर्च बेचने पर मजबूर हैं। पहले जहां 61 रुपए प्रति
किलो की दर से मिर्च बेची जाती थी अब वह 40 रुपए प्रति किलो में
उपलब्ध है। इस सप्ताह घरेलू बाजार में सब्जियों के दामों में जबरदस्त उछाल आया है।
टमाटर के दाम दोगुने तो आलू-प्याज में भी तेजी रही। दालों और
गेहूं में मामूली तेजी आई। सब्जियों के दाम बढ़ने से आम आदमी के घरेलू बजट पर असर पड़
रहा है। थोक बाजारों में सब्जियों के दामों में 10 से
20 प्रतिशत इजाफा हुआ है। रिजर्व बैंक का मानना है कि महंगाई दर चार
प्रतिशत के आसपास रहता है तो यह संतोषजनक होगा। देखते हैं कि तीन अक्तूबर को होने वाली
अगली मौद्रिक बैठक में रिजर्व बैंक क्या करता है? उस समय भी महंगाई
दर इसका मुख्य निर्धारक होगा।
-अनिल नरेन्द्र
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