Sunday 2 June 2019

कमाई में अमीर पर आलस्य से सेहत में गरीब

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान रिपुः अर्थात मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही उसका सबसे बड़ा दुश्मन है। यह दुश्मन अब हमारे लिए जानलेवा साबित होता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की 125 करोड़ आबादी में करीब 34 फीसदी यानी 42 करोड़ लोग आलस्य की चपेट में आकर बीमार हो रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह पर्याप्त शारीरिक श्रम न करना बताया गया है। द सालंसरे पत्रिका में पकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारतीय महिलाओं में शारीरिक श्रम न करने की समस्या पुरुषों की तुलना में दोगुनी है। रिपोर्ट के मुताबिक देश की करीब आधी महिलाएं (47.7 पतिशत) पर्याप्त काम नहीं करती हैं जबकि 20 पतिशत से ज्यादा पुरुष भी आलस्य के शिकार हैं। 168 देशों में कराए गए 358 सर्वे के दौरान 19 लाख से ज्यादा लोगों को इस रिपोर्ट में शामिल किया गया। वर्ष 2001 से 2016 के आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की 27.5 फीसदी आबादी आलस्य का शिकार हैं। दुनिया के कई ऐसे देश हैं जो पैसों के मामले में तो अमीर हैं, लेकिन सेहत की बात करें तो उतने ही गरीब हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि संपन्नता में आगे देश शारीरिक श्रम करने में पीछे छूटते जा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की रैकिंग में 9वें स्थान पर मौजूद कुवैत की हालत यह है कि यहां की 67 फीसदी आबादी शारीरिक श्रम को तवज्जों नहीं देती। इसी तरह सऊदी अरब की भी 50 फीसदी से ज्यादा आबादी आराम तलब है। अमीर देशों की सूची में चौथे नंबर पर सिंगापुर का भी यही हाल है। जितनी ज्यादा कमाई उतना ज्यादा आलस्य। इससे बीमारी बढ़ती जा रही है। सबसे ज्यादा मार डायबिटीज यानी मधुमेह की है। इस समय एक अनुमान के अनुसार 42.2 करोड़ लोग दुनिया में मधुमेह की चपेट में हैं 2030 तक मौत के लिए शीर्ष 7 कारणों में शामिल होगा मधुमेह। 2017 में भारत में 7.2 करोड़ मधुमेह से पीड़ित थे। उनमें से एक भारतीय उच्च रक्तचाप (ब्लड पेशर) की समस्या से पीड़ित है। 11.54 पतिशत स्तन कैंसर के मामले बढ़े। 2008 से 2012 के बीच स्वास्थ्य पर भारत अपने डीडीपी का महज 1.25 फीसदी खर्च करता है जबकि बगल में लगभग तबाही की कगार पर पहुंचा अफगानिस्तान इस मद में 8.2 फीसद खर्च कर देता है, लेकिन इस मामले में सीधे सरकार का भी दोष नहीं दे सकते क्योंकि अपनी सेहत का ख्याल रखना अपने शरीर को काम करने लायक बनाए रखना सबसे पहले इंसान की निजी जिम्मेदारी है। बुजुर्ग यह जिम्मेदारी कैसे भी करके निभा लेते हैं, लेकिन मोबाइल फोन और लैपटॉप में हर वक्त रमे रहने वाले युवाओं में नियमित कसरत करने, घूमने, टहलने की पवृत्ति कम होती जा रही है।

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