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मई से पहले प्रताप सारंगी को ओडिशा के बाहर शायद ही कोई जानता था। लेकिन
पिछले 10 दिनों में वह देश के सबसे बड़े चर्चों में से एक हो
गए हैं। वेशभूषा से राजनेता कम और साधु ज्यादा लगने वाले बालासोर से इस नवनिर्वाचित
सांसद ने गुरुवार की शाम जब राष्ट्रपति भवन के अहाते में राज्यमंत्री के रूप में शपथ
ली, तब तालियों की गड़गड़ाहट से ही पता चल रहा था कि वह खासे
लोकप्रिय हैं। उन्हें सरकार में सूक्ष्म एवं लघु उद्योग राज्यमंत्री बनाया गया है।
सारंगी ने लोकसभा चुनाव में ओडिशा के बालासोर से जीत हासिल करके मोदी मंत्रिमंडल में
जगह बनाई है। इन्होंने बीजू जनता दल के अरबपति नेता रविन्द्र कुमार जेना को
12 हजार 956 वोट से हराया है। उन्होंने अपना प्रचार
किराये पर लिए एक ऑटो में किया था। उनकी सरलता और सादगी ने लोगों का ध्यान अपनी ओर
खींचा है। सारंगी की कई तस्वीरें और किस्से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। हाई-प्रोफाइल चेहरों से भरे इन चुनावों में उनकी जीत को लोग आम आदमी की जीत से
जोड़कर देख रहे हैं। सारंगी ने शादी नहीं की और अपना पूरा जीवन जनसेवा में लगा दिया।
वह एक छोटे से घर में रहते हैं जो कच्चा है। वह साइकिल से घूमते हैं। सारंगी की पहचान
एक ऐसे शख्स के रूप में है जो धर्म और आस्था से जुड़ा है। अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा
वह गरीब बच्चों पर खर्च करते हैं। सारंगी का कहना है कि फकीरीपन उनके स्वभाव का हिस्सा
है। मंत्री पद की शपथ लेने के बाद सारंगी ने कहाöमैं भाग्यशाली
हूं कि प्रधानमंत्री मोदी ने मुझ पर भरोसा किया। मेरे लिए राजनीति देश की सेवा करने
का माध्यम है। हमारी पार्टी का सिद्धांत हैöदेश पहले,
पार्टी उसके बाद और हम सबके बाद में। सारंगी के आठ अप्रैल
2019 के शपथ पत्र के अनुसार उनके खिलाफ सात आपराधिक मामले दर्ज हैं,
जिनमें गैर-कानूनी तरीके से इकट्ठा होना और दंगा,
धार्मिक भावनाएं भड़काना आदि के मामले शामिल हैं। हालांकि शपथ पत्र के
मुताबिक उनके खिलाफ किसी भी मामले में उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है। एक मीडिया रिपोर्ट
के मुताबिक 1999 में एक हिन्दू भीड़ ने आस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राह्म
स्टेंस और उनके दो बच्चों को बेरहमी से मार डाला। उस दौरान सारंगी हिन्दुवादी संगठन
बजरंग दल के नेता थे। आरएसएस और बजरंग दल से जुड़े होने के कारण जाहिर है कि उनके राजनीतिक
विचार किसी से छिपे नहीं हैं। वह संघ की प्रचारक परंपरा से आते हैं और इसलिए अविवाहित
हैं। कुछ लोगों ने उन्हें ओडिशा का मोदी का खिताब भी दे डाला है, क्योंकि मोदी की तरह वह भी घर-बार छोड़कर निकल पड़े थे
और संघ से जुड़े रहे हैं, हालांकि मंत्री बनने के बाद उनकी जीवनशैली
में क्या बदलाव आता है यह देखने वाली बात है।
-अनिल नरेन्द्र
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