पश्चिम
बंगाल में जारी हिंसा चिन्ता का विषय बनती जा रही है। आए दिन वहां राजनीतिक हत्याएं
हो रही हैं और यह थमने का नाम ही नहीं ले रहीं। भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच छिड़ी
यह वोट बैंक की हिंसा पर यदि काबू नहीं पाया गया तो 2021 के विधानसभा चुनाव तक न जाने और कितनी मौतें हो जाएंगी।
अब तक 60 के करीब लोग राजनीति की बलि चढ़ चुके हैं। शनिवार शाम
को उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखली इलाके में झंडा खोलने को
लेकर तृणमूल कांग्रेस और भाजपा समर्थकों में जमकर संघर्ष हुआ। उत्तर 24 परगना जिला के तृणमूल कांग्रेस व ज्योतिप्रिय मलिक ने दावा किया कि उनकी पार्टी
के कार्यकर्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। वहीं प्रदेश भाजपा महासचिव सायंतन
बसु ने दावा किया कि भाजपा के तीन कार्यकर्ताओं की हत्या की गई है और वो लापता हैं।
हालांकि पुलिस की ओर से मरने वालों की संख्या को लेकर कोई जानकारी नहीं दी जा रही है।
दरअसल ममता बनर्जी व भाजपा के बीच चल रही जंग के पीछे हैं तीन प्रतिशत वोट। ममता बनर्जी के लिए चिन्ता व
गुस्से का कारण यह है कि उनकी पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव में
12 सीटें खोई हैं, जबकि भाजपा ने वोटों का ध्रुवीकरण
कराकर अपनी दो सीटों से बढ़ाकर 18 कर ली हैं। हालांकि पश्चिम
बंगाल में भाजपा को 18 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि 2019
में यह बढ़कर 40.25 प्रतिशत हो गए। इस प्रकार भाजपा ने
22 प्रतिशत का इजाफा किया है। तृणमूल कांग्रेस ने 2019 में 23.23 प्रतिशत वोट हासिल करके 22 सीटें जीती थीं। दीदी को गुस्सा शायद इसलिए भी है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने ज्यादा सीटों की उम्मीद लगा रखी थी और कई तरह
के सपने पाल रखे थे। पर मोदी लहर के आगे उनकी पार्टी टिक नहीं सकी। भाजपा का अब सारा
जोर 2021 के विधानसभा चुनाव को लेकर है। वर्ष 2014 में ममता की पार्टी ने 39 प्रतिशत वोट पाकर
34 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यद्यपि तृणमूल कांग्रेस का भी वोट
4.28 प्रतिशत बढ़ा है किन्तु सीटें 12 घटी हैं।
वर्ष 2021 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। राजनीतिक हलकों
में चर्चा गरम है कि भाजपा के तीखे तेवर देखकर ममता के प्रबंधकों को टपके का यम सता
रहा है कि यदि 2019 की तर्ज पर भाजपा के खाते में तीन प्रतिशत
वोट का इजाफा हुआ तो कमल निशान वाली पार्टी लाल गढ़ में सरकार बनाने का गणित बिठा सकती
है। संभवत इसी डर के चलते राज्य में हिंसा को बढ़ावा मिल रहा है। सवाल तीन प्रतिशत
वोट बैंक की लूट-खसोट ओर बेकाबू हिंसा से कितनी जानें और जाएंगी?
भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के मत प्रतिशत का आधार मानकर यदि
2021 के विधानसभा चुनाव पर संभावित असर का गणित फैलाया जाए तो लग रहा
है कि दोनों दलों के बीच 2021 के विधानसभा चुनाव में सीधी लड़ाई
की तैयारी हो रही है। इसके अलावा कांग्रेस और वाम दल सिमटते दिखाई दे रहे हैं। देखना
यह होगा कि क्या ममता बनर्जी अपने वोट बैंक को बचाने में सफल रहेंगी या भाजपा यहां भी अपना झंडा गाड़ देगी?
-अनिल नरेन्द्र
भाजपा की गोलबंदी वहां बहुत ही बेहतरीन है और आने वाले समय में शहरी नागरिकता वाले कानून को लेकर भी मामला गर्म आने वाला और सबसे बड़ी बात है कि दीदी अपना आपा खो गई रही है जैसे ही जय श्री राम का नारा लगता है दीदी का संतुलन बिगड़ने लगता है और फिर बोलती हैं और इससे फिर बीजेपी को मजबूत चार कदम आगे बढ़ा देती है
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