Tuesday, 11 June 2019

एक बार फिर हैवानियत की हदें पार हुईं

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ स्थित टप्पल में ढाई साल की बच्ची के साथ बर्बरता ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना ने एक बार फिर हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारा समाज किस ओर जा रहा है? क्या हमारे समाज में संवेदनशीलता नाम की चीज खत्म हो गई है? बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने के मामले में हमारे प्रशासन तंत्र की क्या भूमिका रह गई है? अलीगढ़ में मासूम के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी गई हैं। पुलिस भले ही दुष्कर्म की पुष्टि न करे, लेकिन जो अपराध उस बच्ची के साथ हुआ है वह किसी भी लिहाज से हैवानियत से कम नहीं है। ढाई साल की ट्विंकल शर्मा को पहले बिस्कुट का लालच देकर पास बुलाया और फिर उसके मासूम शरीर के साथ जो कुछ हुआ वह लिखना संभव नहीं है। जिस हालत में शव मिला वह उन सभी के लिए शर्मनाक है जो इस घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों के आसपास समाज बनकर रहते हैं। दुखद है कि ऐसे दरिन्दों का भी एक समाज हमारे बीच मौजूद है। जो उन्हें इस अपराध के बाद भी शायद अपने बीच रहने देता है। उस पर यह और ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है कि उस बच्ची और अपराधियों का धर्म एक मुद्दा बनकर सामने आया है। किसी अपराध को धर्म के तराजू पर तोलना कतई वाजिब नहीं। ऐसे अपराधियों का कोई धर्म नहीं होता। यह कोई सांप्रदायिक मुद्दा नहीं है और न ही इसे उस नजरिये से देखना चाहिए। बेगुनाह बच्ची को मारने की वजह सिर्प इतनी सी ही थी कि उसके माता-पिता 10 हजार रुपए का कर्ज नहीं लौटा पाए थे। सवाल यह भी है कि पड़ोसी होने के बावजूद एक व्यक्ति 10 हजार रुपए की वसूली नहीं हो पाने और इस वजह से हुए झगड़े के बाद बदला लेने के लिए एक मासूम बच्ची की हत्या करना और इस बर्बरता से हत्या करने की हद तक कैसे चला गया? अत्यंत दुख से यह भी कहना पड़ता है कि इस प्रकार के घिनौने अपराधियों में कानून व समाज का कोई खौफ ही नहीं है। निर्भया कांड को इतने साल हो गए हैं पर अभी तक अपराधियों को फांसी तक नहीं हुई। केस अदालतों में अपीलों में उलझा पड़ा है। अगर एक भी आरोपी को एक बार फांसी हो जाती है तो इस तरह के हैवानों में थोड़ा-सा तो डर पहुंचता। क्या किसी भी मासूमियत की कोई कीमत हो सकती है? या फिर अपराध का नशा इतना गाढ़ा हो गया कि वह सारी मर्यादाएं ही भूल जाए। यह एक ट्विंकल की कहानी नहीं है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की मानें तो हमारे देश में पिछले एक दशक में बच्चों के खिलाफ 500 प्रतिशत अपराध बढ़ गए हैं। जबकि ट्विंकल जैसे मामले जब मीडिया में आ जाते हैं तब सारा देश जागता है। फिर चाहे वह कठुआ कांड हो जिसे लेकर पूरे देश में हंगामा हुआ। इस हंगामे के बाद नाबालिग के साथ दुष्कर्म के अपराधी के लिए सजा--मौत मुकर्रर करने का कानून बनाने की पहल की गई। लोगों के बढ़ते गुस्से के दबाव में आई उत्तर प्रदेश पुलिस ने लापरवाही बरतने वाले पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है। एसआईटी को जांच सौंप दी गई है। हत्यारोपी जाहिद और असलम को गिरफ्तार कर लिया गया है पर ट्विंकल की आत्मा को शांति तभी मिलेगी जब उसके हत्यारे फांसी के फंदे पर लटकाए जाएंगे।

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