Friday, 7 June 2019

केजरीवाल सरकार का दिल्ली की महिलाओं को तोहफा

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने सोमवार को महिलाओं के लिए एक बड़ी योजना का ऐलान करके अगले विधानसभा चुनाव के लिए एक बड़ा दांव चला है। गौरतलब है कि 2020 में दिल्ली के विधानसभा चुनाव होने हैं और इसी को देखते हुए दिल्ली की महिलाओं को मेट्रो ट्रेन और दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (डीटीसी) में मुफ्त सफर करने की सुविधा की घोषणा की है। हालांकि इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए उन्हें दो-तीन महीने का इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन यह तय है कि वोटिंग से पहले वह कई महीनों तक इस सुविधा का लाभ उठा चुकी होंगी। केजरीवाल का कहना है कि इस योजना पर आने वाला प्रतिवर्ष करीब 1200 करोड़ रुपए का खर्च दिल्ली सरकार वहन करेगी। चूंकि राज्य सरकार का खजाना सरप्लस में है इसलिए उस पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के लिए दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार से बात करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सब्सिडी दी जा रही है। किराये में कोई फेरबदल नहीं किया जा रहा है। हालांकि उन्होंने साथ यह भी जोड़ दिया कि जो महिलाएं टिकट खरीदने में सक्षम हैं, वह इस सब्सिडी को छोड़ दें ताकि जरूरतमंदों को मदद मिल सके। इसमें कोई दो राय नहीं है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मेट्रो सबसे सुरक्षित और आरामदेह सार्वजनिक सुविधा है। मगर पिछले दिनों बढ़े किराये के बाद बहुत सारे यात्रियों के कदम जेब पर पड़े दबाव में इसकी तरफ बढ़ने से ठिठकने लगे थे। बावजूद इसके दिल्ली सरकार का यह कदम लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा की ओर एक लोक-लुभावन पहल ही है। दिल्ली सरकार का आकलन है कि इस योजना पर सालाना करीब 700-800 करोड़ रुपए खर्च आएगा। यह सरकार खुद वहन करेगी। मेट्रो और डीटीसी प्रबंधन को सब्सिडी के रूप में इतना धन प्रदान करेगी। दिल्ली के मेट्रो यात्रियों में 33 प्रतिशत तथा बसों में 30 प्रतिशत महिला यात्री होती हैं यानि मोटा-मोटी 57 लाख के आसपास। वैसे सार्वजनिक परिवहन मुफ्त करने का विचार नया नहीं है। अनेक यूरोपीय देशों में सभी यात्रियों को यह सुविधा प्राप्त है, ताकि निजी वाहनों का इस्तेमाल कम हो, जिससे वायु प्रदूषण पर भी अंकुश लग सके। मगर देश की राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मसला है और दिसम्बर 2012 में निर्भया के साथ एक बस में हुई बर्बरता के बाद इस मुद्दे की ओर देशभर का न केवल ध्यान गया बल्कि बलात्कार के मामलों में निपटने के लिए एक नया सख्त कानून तक अस्तित्व में आ गया। इसके बावजूद महिला सुरक्षा को लेकर स्थिति में खास सुधार नहीं आया है। इससे जुड़ा सबसे अहम सवाल तो यह है कि देर शाम कार्यस्थल से लौटने वाली महिलाओं के लिए मेट्रो स्टेशन या बस स्टॉप से सुरक्षित घर पहुंचने की क्या व्यवस्था होगी? उन्होंने सार्वजनिक स्थलों और बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का वादा किया था, लेकिन कटु सत्य यह है कि अभी कुछ सौ सीसीटीवी कैमरे ही लग पाए हैं, जबकि प्रस्ताव 2,80,000 कैमरे लगाने का है। हाल ही में सम्पन्न लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी दूसरे-तीसरे नम्बर पर रही और उसके वोट बैंक में भी सेंध लगी है। ऐसे में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अपने पुराने नुस्खे को फिर से आजमाने की कोशिश की है। देखते हैं कि केजरीवाल की यह पेशकश दिल्लीवासियों के लिए क्या मायने लेकर आती है।

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