देश
के सबसे बड़े बैंक घोटाले के आरोपी मेहुल चोकसी पर शिकंजा कसता जा रहा है, उसके बच निकलने के सारे रास्ते धीरे-धीरे बंद हो रहे हैं। पंजाब नेशनल बैंक से 15 हजार करोड़
रुपए का घोटाला करके कैरिबियाई देश एंटीगुआ में जाकर छिपना और वहां की नागरिकता अपनी
दौलत से खरीदने व वहां की नागरिकता पाकर भारतीय जांच एजेंसियों से बच निकलने का जो
सपना चोकसी ने पाला था, वह अब टूटता दिख रहा है। उनकी नागरिकता
रद्द हो सकती है, इसका अहसास शायद खुद चोकसी को भी हो गया होगा
तभी पिछले सप्ताह उन्होंने मुंबई की एक अदालत में अर्जी देकर कहा था कि वह अस्वस्थ
हैं और इतनी लंबी यात्रा नहीं कर सकते। हां अगर भारतीय जांच एजेंसियां उनसे कुछ पूछताछ
करना चाहती हैं तो वह एंटीगुआ आ जाएं और जो भी पूछना हो पूछें। चोकसी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग
के द्वारा भी पूछताछ का सुझाव दिया था। सीबीआई ने उनकी बीमारी को एक बहाना बताया और
कहा कि वह भारत आ जाएं उन्हें बाकायदा एक एम्बुलेंस से लाया जाएगा और अस्पताल में उनका
पूरा इलाज करवाया जाएगा। एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गास्तोन ब्राइन ने एक बयान में कहा
है कि कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद मेहुल चोकसी की नागरिकता खत्म की जाएगी और
उन्हें भारत को सौंपा जाएगा। भगोड़े आरोपियों को वापस लाने की दिशा में इसे भारत की
कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। हालांकि विदेश मंत्री एस. जयशंकर
ने कहा कि उन्हें मामले में जानकारी नहीं है। ब्राउन ने एंटीगुआ आब्जर्वर से कहा कि
हमने भारत को बताया है, मेहुल चोकसी के खिलाफ कानूनी मामले चल
रहे हैं। प्रक्रिया पूरा होने पर उसका प्रत्यर्पण कर दिया जाएगा। हम धोखाधड़ी के समर्थक
नहीं हैं। एंटीगुआ की छवि घोटालेबाजों की पनाहगाह के तौर पर नहीं बनने देंगे। मेहुल
पिछले साल पीएनबी घोटाले के खुलासे से एक दिन पहले चार जनवरी को एंटीगुआ भाग गया था।
एंटीगुआ से प्रत्यर्पण संधि न होने से उनकी वापसी में अड़चनें हैं। पर अब रास्ता साफ
हो जाएगा। बता दें कि मेहुल चोकसी और नीरव मोदी के मसले पर मोदी सरकार लगातार विपक्ष
के निशाने पर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के दौरान लगातार
यह मुद्दा उठाया था। लेकिन अब अगर मेहुल चोकसी की वापसी होती है तो यह मोदी सरकार के
दूसरे कार्यकाल की बड़ी सफलता मानी जा सकती है। साथ-साथ इससे
अन्य आर्थिक भगोड़ों को भी संदेश जाएगा कि अगर वह समझते हैं कि अपने धन के बल पर भारतीय
कानूनी प्रक्रिया से बच सकते हैं तो वह गलतफहमी में हैं। विजय माल्या केस भी उनकी ब्रिटिश
अदालतों में लगातार हार से उनके बचने के रास्ते बंद हो रहे हैं। अगर भारतीय एजेंसियों
ने अपना दबाव बनाए रखा तो न सिर्प चोकसी बल्कि नीरव मोदी और विजय माल्या का बच पाना
मुश्किल हो जाएगा।
-अनिल नरेन्द्र
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