Friday, 21 June 2019

ओम बिड़ला का नाम लेकर मोदी-शाह ने फिर चौंकाया

मोदी-शाह की जोड़ी ने एक बार फिर सबको चौंकाया है। लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए कई नाम चर्चा में चल रहे थे लेकिन कोटा (राजस्थान) लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए ओम बिड़ला का नाम प्रस्तावित करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ संकेत दिया कि अब विभिन्न स्तरों पर अगली पीढ़ी ही अग्रिम मोर्चे पर नजर आएगी। 56 वर्षीय बिड़ला का नाम आगे करने की नई सोच व नई पीढ़ी को आगे करने का भी संकेत माना जा सकता है। भाजपा की रणनीतिक टीम के एक सदस्य ने कहा कि मोदी युग में चयन, मनोनयन के लिए एक ही शर्त हैöउपयोगिता और उत्पादकता। ओम बिड़ला ने पर्दे के पीछे कई अहम भूमिकाएं निभाई हैं। वे पार्टी के क्राइसिस मैनेजरों की टीम में शामिल रहे हैं। पार्टी के लिए अहम चुनावों में पर्दे के पीछे प्रबंधन का दायित्व उन्हें मिलता रहा है। राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया उनके घर से ही संचालित की गई। उपराष्ट्रपति चुनाव में भी उनको अहम दायित्व दिया गया था। उन्हें कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में समन्वयक टीम में शामिल किया गया। लोकसभा में वे पार्टी के व्हिप भी रहे हैं। बिड़ला को जानने वालों का कहना है कि उनके स्वभाव में तो नरमी है लेकिन एक्शन में आक्रामकता है। वे जोखिम लेने से परहेज नहीं करते। बड़ी जिम्मेदारी के पीछे उनके इस किरदार की भी अहम भूमिका रही है। राजस्थान लंबे अरसे के बाद भाजपा की केंद्रीय सियासत का पॉवर सेंटर बना है। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में जसवंत सिंह के पास रक्षा, वित्त और विदेश मंत्रालय था। इसी दौर में वसुंधरा राजे केंद्र में मंत्री रहीं और फिर राजस्थान की सीएम बनीं। भैरो सिंह शेखावत राजस्थान के सीएम से उपराष्ट्रपति बने। 2014 में जब मोदी भाजपा में नए नेता के रूप में उभरे तो चौतरफा चौंकाने वाले निर्णय देखने को मिले और इसमें बड़े परिवर्तन सत्ता और संगठन में हुए। अब बदले माहौल में संघ और संगठन से जुड़े नेता सत्ता में नई भागीदारी के साथ उभरे हैं। इसमें गजेन्द्र सिंह शेखावत को कैबिनेट मंत्री बनाकर मोदी ने ड्रीम प्रोजेक्ट जल शक्ति का जिम्मा सौंपा है। संघ और संगठन से जुड़े ओम बिड़ला को लोकसभा स्पीकर बनाया गया है। आमतौर पर माना जाता है कि संसद के निचले सदन यानि लोकसभा को चलाने के लिए काफी अनुभवी अध्यक्ष की जरूरत होती है। इस अहम जिम्मेदारी को निभाने के लिए ऐसे राजनेता की दरकार होती है जो विधाई कार्यों, नियमों और कानूनों में सिद्धहस्त होता है। कोई नेता इसमें तभी पारंगत माना जाता है जब वह कई बार संसद के किसी सदन का सदस्य बन चुका हो। 17वीं लोकसभा में राजस्थान के कोटे से सांसद ओम बिड़ला नए अध्यक्ष बन गए हैं। अब तक वे सिर्प दो बार सदस्य रहे हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है कि जब कोई कम संसदीय अनुभव वाला व्यक्ति इस पद पर बैठाया गया हो। इससे पहले कई बार एक या दो बार लोकसभा सांसद स्पीकर बनाए जा चुके हैं। श्री ओम बिड़ला सुमित्रा महाजन जैसी अनुभवी स्पीकर का आसन ग्रहण कर रहे हैं। हम उन्हें इस पद पर चुने जाने की बधाई देते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह सदन को सुचारु रूप से चलाएंगे।

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