Wednesday, 12 June 2019

देश में सबसे बड़े किडनी रैकेट का खुलासा

देश के सबसे बड़े किडनी कांड खुलासे ने दिल्ली में हलचल मचा दी है। पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (पीएसआरआई) के सीओ डॉ. दीपक शुक्ला को कानपुर क्राइम ब्रांच ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। जांच टीम ने साक्ष्यों को जुटाने और पूछताछ करने के बाद पुलिस ने यह गिरफ्तारी की। शाम को डॉ. शुक्ला को पुलिस ने कोर्ट में पेश कर दिया और अदालत ने डॉ. शुक्ला को जेल भेज दिया। एसपी क्राइम राजेश यादव के मुताबिक जांच में जो डोनरों के दस्तावेज मिले थे। इनमें लखनऊ का शोएब उर्प शीबू, वरदान चन्द्र, रईस और राजेश गुप्ता शामिल हैं रईस के लीवर और अन्य तीनों की किडनी का सौदा हुआ था। प्रत्येक दस्तावेज पर डाक्टर दीपक शुक्ला के हस्ताक्षर पाए गए। पीएसआरआई हॉस्पिटल ने डोनर-रिलीवर की जांचों के साथ ट्रांसप्लांट की पूरी प्रक्रिया हुई जिसके पूरे साक्ष्य पुलिस ने जुटाए। एसपी के मुताबिक इन्हीं साक्ष्यों के आधार पर डॉ. दीपक शुक्ला को गिरफ्तार किया गया। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि डाक्टर दीपक शुक्ला डोनरों को किडनी बेचने के लिए प्रेरित करता था। वह कई-कई घंटे डोनरों की काउंसलिंग करता। प्रेरित करने के लिए वीडियो और फोटो भी दिखाता था, जिसके बाद डोनर उसके विश्वास में आकर किडनी या लीवर निकलवाने को तैयार हो जाते थे। डॉ. दीपक शुक्ला की गिरफ्तारी के बाद कई निजी अस्पतालों पर तलवार लटकती नजर आ रही है। एक दर्जन से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार करने वाली कानपुर पुलिस ने पीएसआरआई के बाद अब फोर्टिस अस्पताल को राडार पर लिया है। अभी तक सबसे ज्यादा अंग प्रत्यारोपण का दावा करने वाले निजी अस्पताल भी जांच के दायरे में लाए जा सकते हैं। इन अस्पतालों के न सिर्प को-ऑर्डिनेटर बल्कि प्रत्यारोपण को मंजूरी देने वाली समितियों तक से पुलिस जांच कर सकती है। देश के सबसे बड़े किडनी कांड में लगातार नए चेहरे सामने आ रहे हैं। सरकारी महकमे से लेकर क्षेत्र के संगठन तक चुप हैं। इस बाबत जब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ. आरवी असोकन से पूछा गयाöक्या आईएमए को किडनी कांड के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए? तो इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि वह हिन्दी भाषा नहीं समझते हैं। देश के सभी राज्यों में करीब तीन लाख से अधिक डाक्टरों के इस संगठन की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं। अंगदान पर जागरुकता से लेकर सख्त कानून का पालन कराने वाला राष्ट्रीय अंग एवं प्रत्यारोपण संगठन (नोटो), केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और दिल्ली सरकार चुप्पी साधे हैं, जबकि कानपुर पुलिस की जांच में साबित हो चुका है कि किस तरह अनजान चेहरों को खून के रिश्ते में तब्दाली कर दिल्ली के निजी अस्पतालों में किडनी का रैकेट चल रहा है। कानपुर पुलिस ने दावा किया है कि किडनी रैकेट के माध्यम से मानव अंगों की सौदेबाजी नेपाल, तुर्की और श्रीलंका तक होती थी। नेपाल के दर्जनों लोग इस गिरोह से सम्पर्प में थे। किडनी रैकेट से जुड़े लोगों की पहली पसंद नेपाल था, क्योंकि यहां से आने-जाने के लिए न तो वीजा की जरूरत है और न ही पासपोर्ट की। दिल्ली के निजी अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण कई सालों से हो रहा है और पीएमआरआई अस्पताल में साल 2004 से किडनी रैकेट चल रहा है ताज्जुब है कि न तो केंद्र सरकार जागी और न ही दिल्ली सरकार ने कोई कार्रवाई की अब तक।

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