Wednesday 26 June 2019

अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा

लोकसभा चुनाव में हार के बाद महीने भर से सदमे में चल रही कांग्रेस अभी भी मंथन के दौर से गुजर रही है। पार्टी की बेपटरी गाड़ी अध्यक्ष राहुल गांधी के माई पर अटक कर रह गई है। कांग्रेस कार्यसमिति ने 25 जून को सर्वसम्मति से राहुल के इस्तीफा की पेशकश को खारिज कर दिया। इसके बाद से ही उनके पद पर बने रहने या न रहने को लेकर संशय बना हुआ है। लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश कर चुके राहुल अपने फैसले पर दोबारा विचार करने को बिल्कुल तैयार नहीं हैं। पार्टी उनका सर्वमान्य विकल्प नहीं ढूंढ पा रही है। पार्टी के ज्यादातर नेता राहुल के पद पर बने रहने के हिमायती हैं। दूसरी ओर तमाम राज्य इकाइयां पहले ही उनके पद पर बने रहने का प्रस्ताव पास कर आलाकमान को भेज चुकी हैं। कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर पूछने पर जहां यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया, वहीं खुद राहुल ने कहा कि इस बारे में फैसला पार्टी करेगी, इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं होगी। जाहिर है कि वह अपने फैसले पर कायम हैं और पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। उनकी इस ताजा टिप्पणी के बाद नए अध्यक्ष की ताजपोशी को लेकर चर्चाओं का बाजार और गरम हो गया है। सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी के विकल्प के तौर पर पार्टी के अंदरखाने जिन नामों पर विचार किया जा रहा है उनमें पूर्व रक्षामंत्री एके एंटोनी, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे, रमेश चैनीथला और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम प्रमुख हैं। इनमें गहलोत के नाम की खासतौर पर चर्चा है। पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने के अलावा उन्हें शासन-प्रशासन और संगठन चलाने का भी अच्छा अनुभव रहा है। हालांकि इनमें से किसी भी नाम पर पार्टी में सहमति नहीं बन पा रही है। पार्टी में इस बात पर भी मंथन जारी है कि नया अध्यक्ष उत्तर भारत से बनाया जाए अथवा दक्षिण भारत से। लोकसभा चुनाव में उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिण भारत में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन के मद्देनजर दक्षिण के किसी नेता को यह जिम्मदारी दे देने की चर्चा है। लेकिन आखिर में बात यहां पर आकर टिकी है कि बेहतर हो कि किसी अन्य के अलावा राहुल गांधी ही अध्यक्ष पद पर बने रहे हैं। दुखद पहलू यह भी है कि कांग्रेस में महत्वपूर्ण नीतिगत फैसलों वाली कोर कमेटी भी परिणाम के बाद भंग की जा चुकी है। अक्तूबर में प्रस्तावित महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड चुनावों के लिए पार्टी की तैयारियां भी ठप पड़ी हैं। पार्टी के महत्वपूर्ण फैसलों के आदेशों में अब कांग्रेस अध्यक्ष की बजाय अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को अनुमोदन की बात लिखी जा रही है। कांग्रेस पार्टी को जल्द अपने आपको दुरुस्त करना होगा। लोकतंत्र में जहां सत्तापक्ष मजबूत होना चाहिए वहीं विपक्ष भी मजबूत होना चाहिए। अगर राहुल अपनी बात पर अड़े हुए हैं तो कांग्रेस पार्टी को जल्द से जल्द अपना अध्यक्ष चुनना चाहिए और विपक्ष की अपनी भूमिका निभानी चाहिए। देश की भी यही मांग है।

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