Friday, 27 July 2012

हम गरीब देश हैं फिर भी सोने का इतना मोह

इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् सोने से भारतीयों का लगाव सामाजिक और सांस्वृतिक परम्परा का हिस्सा है। जब देश को सोने की चििड़या पुकारा जाता था तब इस कीमती धातु के प्राति दीवानगी समझी जा सकती थी, मगर अब भारत गरीब मुल्कों में शुमार है। ऐसे में घर पर ज्यादा खर्च करना शायद मुनासिब न हो। वह भी जब यह अनुत्पादक निवेश है और हर साल अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा इसके आयात पर खर्च करनी पड़ती है। इससे चालू खाते में घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है जिसका सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। सिर्प मानसिक संतुष्टि के लिए किए जाने वाले इस खर्च पर लगाम लगाने के लिए मानसिकता बदलने की जरूरत है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआईं) के डिप्टी गवर्नर केसी चव््रावता ने यह सलाह दी है। चव््रावता के मुताबिक जब देश अमीर था तब सोने के गहने पहनना सांस्वृतिक मजबूती और समृद्धि का परिचायक था। उस समय दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भारत का हिस्सा 30 फीसद धातु के प्राति मानसिकता बदलने के लिए सामाजिक और सांस्वृतिक व््रांति की जरूरत है। देश में सोने की वुल मांग में से 90 फीसद गहनों और भगवान को चढ़ावे के रूप में इस्तेमाल होता है। मंदिरों में दी जाने वाली भेंट धार्मिक भावनाओं से जुड़ा और विश्वास का हिस्सा है। मगर इसके लिए 22 वैरेट का सोना ही क्यों इस्तेमाल किया जाए? इसके लिए दो वैरेट का सोना भी तो इस्तेमाल हो सकता है। गहने आखिर गहने हैं। भले ही वह 22 वैरेट से बने हों या दो वैरेट से। सही मायने में देखा जाए तो मौजूदा समय में इसकी वास्तविकता वुछ भी नहीं है क्योंकि सट्टेबाजी के चलते ही इसके दाम आसमान छू रहे हैं। इसी वजह से इसमें निवेश बढ़ रहा है। मगर इस निवेश से वुछ उत्पादित नहीं हो रहा है। एक दिन ऐसा भी आएगा, जब लोगों की भेड़चाल थमेगी और इसकी कीमत भरभराकर नीचे आ जाएगी। तब निवेशक कहीं के नहीं रहेंगे। सबसे ज्यादा चिन्ताजनक बात यह है कि पीली धातु में अमीरों से ज्यादा गरीब निवेश कर रहे हैं। इसी वजह से आरबीआईं ने सोने के बदले कर्ज और बैंकों द्वारा सोने के सिक्कों को बढ़ावा दिया। गरीब सोना खरीदते हैं मगर जरूरत पड़ने पर उन्हें इसे 30 फीसद तक कम मूल्य पर गिरवी रखना पड़ता है। आम लोगों में यह धारणा है कि सोने के आभूषण परिवार के लिए बुरे समय में एक सुरक्षा की वस्तु हैं। गहने गिरवी रखकर या बेचकर आर्थिक तंगी से बचा जा सकता है। इस दलील को भी नकारा नहीं जा सकता कि महिलाओं में सोने के गहनों की चाहत हमेशा रहती है। यह उनका एक शौक भी है।
आवश्यकता इस बात की है कि सोने की चाहत को कम किया जाए ताकि इस धातु की आसमान छूती कीमत पर नियंत्रण लगे।

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