Wednesday 11 July 2012

अखिलेश के 100 दिनों ने मुलायम राज की याद ताजा कर दी है

उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार ने कार्यकाल के 100 दिन पूरे कर लिए हैं। पिता मुलायम सिंह यादव ने बेटे को 10 में से 10 नम्बर दिए हैं पर आम जनता में इस सरकार की छवि बहुत उत्साहवर्द्धक नहीं बन सकी। बेशक इस दौरान कुछ अच्छे काम भी हुए पर आमतौर पर यूपी की जनता में निराशा है। आम धारणा यह बन रही है कि वही समाजवादी पार्टी का शासन जो मुलायम के समय था वैसा ही शासन अखिलेश के नेतृत्व में सरकार का हो रहा है। 100 दिन के राज में अपराध बेतहाशा बढ़े हैं। इन 100 दिनों में 1149 हत्याएं हुई हैं। गत दिनों राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के घर भोजन करने गए। वह राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट मांगने यूपी गए थे। इस भोज में सब यह देखकर चौंक गए कि बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी (15 केस) व विजय मिश्रा (25 केस) भी मुख्यमंत्री निवास में शान से बैठे थे जबकि जेल में बन्द इन दोनों कुख्यात नेताओं को सिर्प विधानसभा आने की इजाजत थी। इस घटना से बवाल मचा, लेकिन यह स्पष्ट संकेत गया कि सपा का पुराना राज लौट आया है, कुछ भी नहीं बदला। हत्या, लूट, बलात्कार के मामले ही बीते साल की तुलना में डेढ़ गुना बढ़े हैं। लेकिन यूपी सरकार के नागरिक सुरक्षा मंत्री दुर्गा यादव की दलील है कि उत्तर प्रदेश में भगवान भी सरकार बना लें तो भी अपराधों पर काबू नहीं पा सकते। सूबे के लगभग हर थाने पर यादव थानेदार नियुक्त हो गया है। हर महत्वपूर्ण पद पर पहले यादवों को एडजस्ट किया जाता है, अगर कोई पद बचे या कोई यादव जाति का अफसर न मिले तो फिर दूसरी जाति के अफसर को मौका मिलता है। अखिलेश की जीत के बाद प्रतिक्रिया स्वरूप थोड़ी राजनीतिक बदले की वारदातें होना स्वाभाविक ही था पर सपा छुटभैया नेताओं की दबंगई ने तो सारी हदें तोड़ दी हैं। पिछले तीन महीनों में पुलिस बल ने प्रदेश भर से करीब 30 शिकायतें लखनऊ भेजी हैं। ज्यादातर मामले सपा नेताओं से संबंधित हैं। इन पर कार्रवाई तो दूर, उलटे कुछ मामलों में पुलिस अफसरों को ही रातोंरात लाइन हाजिर कर दिया गया। चुनाव के वक्त यूपी की जनता को यह डर तो सता रहा था कि कहीं वहीं मुलायम राज दोबारा न लौट आए और इसी वजह से मुलायम सिंह को यह आश्वासन भी देना पड़ा था कि हम किसी को नहीं बख्शेंगे। वोटरों को अखिलेश पर ज्यादा विश्वास था जो अब धीरे-धीरे टूट रहा है। भाजपा प्रवक्ता विजय पाठक का आरोप है कि पिछले तीन महीने में बुंदेलखंड में 18 किसानों ने खुदकुशी कर ली है। क्या कुछ सपा नेता जानबूझ कर रणनीति के तहत अखिलेश को फेल साबित करने पर तुले हैं? अखिलेश सरकार मंत्रिमंडल में ज्यादातर मंत्री मुलायम सिंह यादव के पुराने साथी हैं जिन्हें अखिलेश बचपन में चाचा कहा करते थे। लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में अब यह कहावत चल पड़ी है कि मुख्यमंत्री भतीजे पर चाचा मंत्री भारी पड़ रहे हैं। खासतौर पर शिवपाल सिंह यादव, जो उनके असली चाचा हैं और आजम खां। ऐसे दिग्गजों के सामने अखिलेश बौने साबित हो रहे हैं। मुलायम सिंह भी इस कहावत से परिचित हैं और वह सारा दोष मायावती शासन के कुछ नजदीकी अफसरों पर थोपने का प्रयास कर रहे हैं कि यह लोग अखिलेश सरकार की बदनामी कराने में जुटे हैं। अखिलेश को अपने स्टाइल में परिवर्तन करना होगा नहीं तो उनकी बनी छवि मिट्टी में मिल जाएगी।

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