गर्मी का मौसम जबकि पारा 44-45 डिग्री हो और कोल्ड ड्रिंक के जायके की बात न हो तो यह बात कुछ अधूरी-सी लगती है। पश्चिमी संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के चलते कोल्ड ड्रिंक्स पीना अब स्टेटस सिम्बल भी बन चुका है और वैसे भी भीषण गर्मी में जब दुकान के सामने कोल्ड ड्रिंक्स सजी हो तो न चाहते हुए भी आप इस आकर्षक पेयजल के जादू से बंध जाते हैं। लेकिन हम आपको बता दें कि आकर्षक पैकों में उपलब्ध शीतल पेय आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी साबित हो सकता है। पेरिस स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कंज्मशन के अनुसार कोला के नाम पर बेचे जाने वाले ज्यादातर शीतल पेय की बोतलों में जिनमें कोका कोला और पेप्सी कोला भी शामिल है, में अल्कोहल यानि शराब के अंश पाए गए हैं। फ्रांस की पत्रिका `60 मिलियन कंज्यूमर्स' ने अपने ताजा अंक में इस बारे में हुए परीक्षणों का ब्यौरा देते हुए लिखा है कि इन कोल्ड ड्रिंक्स में अल्कोहल का स्तर मात्र 10 मिलीग्राम प्रति लीटर ही है, जो वैसे बेहद कम है। जाहिर है, अल्कोहल की मात्रा चाहे 000.001 प्रतिशत ही क्यों न हो, इस समाचार से यूरोप में शराब से परहेज करने वाले लोग बुरी तरह आहत हुए हैं। इनमें मुसलमानों की संख्या सर्वाधिक है क्योंकि इस्लाम में शराब पीना हराम है, इसलिए यूरोप आदि में ज्यादातर मुसलमान कोला और जूस पीते हैं। यूरोप और अमेरिका में वाइन और बियर भी पी जाती है। लेकिन लम्बी ड्राइविंग करते समय लोग कोला पीना ज्यादा पसंद करते हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि निश्चित मात्रा से ज्यादा शराब पीने पर जुर्माना भरना पड़ सकता है। इन लोगों को भी यूरोप के मुसलमानों की तरह इस समाचार से धक्का लगेगा क्योंकि कोका कोला और पेप्सी कोला के प्रबंधकों ने इस समाचार को ज्यादा तरजीह नहीं दी है। फ्रांस में कोका कोला के साइंटिफिक डायरेक्टर ने इतना जरूर कहा है कि हो सकता है कि कोका कोला बनाने की प्रक्रिया के दौरान शराब के कुछ अंश आ जाते हैं। आज तक किसी को नहीं मालूम कि कोका कोला बनाने के गोपनीय नुस्खे में क्या-क्या होता है? एक समय में कोका कोला कम्पनी के मात्र दो शीर्ष अधिकारियों को ही इस नुस्खे की जानकारी होती है और ये दोनों कभी एक साथ हवाई यात्रा तक नहीं करते ताकि खुदा न खास्ता कोई एक दुर्घटनाग्रस्त भी हो जाए तो दूसरा हमेशा उपलब्ध रहे। दुनिया में अनेक लोगों ने कोका कोला को अपना गोपनीय नुस्खा बताने के लिए अदालतों में घसीटा है मगर यह जानकारी कभी सार्वजनिक नहीं हुई है। इमरजेंसी के बाद 1977 में भारत में आई जनता पार्टी की सरकार ने भी कोका कोला पर दबाव डाला था मगर उसने नुस्खा बताने की बजाय भारत से अपना व्यापार ही बन्द करना बेहतर विकल्प माना। लेकिन कोका कोला और पेप्सी जैसी कम्पनियों का साम्राज्य इतना मजबूत और व्यापक है कि कुछ अंतराल के बाद उन्हें भारत में फिर प्रवेश मिल गया। यह कोला पश्चिमी संस्कृति की संतानें हैं, भारतवासियों को इससे ज्यादा भारत में निर्मित जूस, नींबू पानी, लस्सी जैसी कोल्ड ड्रिंक्स पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए क्योंकि प्यास बुझाने के साथ-साथ यह सेहत के लिए भी अच्छी हैं।
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