Friday 20 July 2012

क्या दिग्विजय सिंह की छुट्टी संगठन में फेरबदल की शुरुआत है?

अब जब राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव का मामला निपट गया है, लगता है कांग्रेस और संप्रग सरकार में फेरबदल का समय आ गया है। प्राप्त संकेतों से लगता है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अब संगठन में फेरबदल करने के मूड में आ चुकी हैं। खबर है कि कांग्रेस संगठन में कई दिग्गजों को हटाया जाएगा और कुछ के पर कतर दिए जाएंगे। कुछ को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाकर संगठन में लगाया जा सकता है। संगठनात्मक फेरबदल के लिए सोनिया गांधी का वरिष्ठ सलाहकारों से सलाह मशविरा लगभग हो चुका है। यूपी और पंजाब के चुनाव में करारी हार को पार्टी पचा नहीं पा रही है। इस साल और 2013 में कई राज्यों में विधानसभा और आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी यह जरूरी है कि कांग्रेस अपना संगठन दुरुस्त करे। क्या श्री दिग्विजय सिंह के पर कतरने से यह फेरबदल आरम्भ माना जाए? कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह को लेकर मंगलवार को अफवाहों का बाजार गर्म रहा। कहा गया कि उत्तर प्रदेश की हार की वजह से सिंह से उत्तर प्रदेश और असम का प्रभार छीन लिया गया है। एक वजह यह भी सुनने को मिली कि दिग्विजय सिंह से इन राज्यों का प्रभार उनके विवादास्पद बयानों के चलते लिया गया तो दूसरी ओर यह भी सुनने में आया कि अपनी पत्नी की बीमारी की वजह से वह स्वयं ही अपनी इस जिम्मेदारी से मुक्त हो गए हैं। बात बढ़ती देख कांग्रेस महासचिव और मीडिया विभाग के अध्यक्ष जनार्दन द्विवेदी को इन सभी बातों का खंडन करने के लिए आगे आना पड़ा। बताया गया कि दिग्विजय सिंह राष्ट्रपति चुनाव को लेकर किसी और काम में व्यस्त हैं पर उन्हें लेकर उलझन तब शुरू हुई जब सोनिया गांधी से मिलने उत्तर प्रदेश के सांसदों के साथ कांग्रेस महासचिव बीके हरिप्रसाद दस जनपथ पहुंचे जबकि राज्य के प्रभारी दिग्विजय सिंह हैं। उससे पहले इलेक्ट्रानिक मीडिया के हाथ कांग्रेस संसदीय दल का वह पत्र लग गया जिसमें सांसदों के साथ सोनिया गांधी की मुलाकात का कार्यक्रम बनाया गया था। इस पत्र और हरिप्रसाद को उत्तर प्रदेश के सांसदों के साथ जाता देखकर इस बात की ऊहापोह बढ़ गई कि क्या सचमुच दिग्विजय से उत्तर प्रदेश और असम का प्रभार ले लिया गया है। सोनिया गांधी इन दिनों कांग्रेस सांसदों से मिल रही हैं। मंगलवार को वह यूपी के सांसदों से मिलीं। खबर है कि कुछ मंत्रियों ने जिनमें ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के नाम प्रमुख हैं, ने केंद्र सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देकर पार्टी की सेवा करने की इच्छा जताई है। कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के तुरन्त बाद दोनों केंद्रीय मंत्रिमंडल और कांग्रेस संगठन में बड़ा फेरबदल होगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल के लिए कांग्रेस के सहयोगियों का भी दबाव है। श्री प्रणब मुखर्जी के जाने के बाद से वित्त मंत्री का पद भी भरना जरूरी है। लगता है कि दोनों सरकार और संगठन में फेरबदल होगा पर देखें क्या होता है?

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