Friday, 27 July 2012

राजस्थान, हरियाणा के बाद अब दिल्ली में गुटखा पर प्रतिबंध

Editorial Publish on 28 July 2012
-अनिल नरेन्द्र

दिल्ली में जल्द ही प्रतिबंधित किए जाने की बात ने हजारों करोड़ रुपए के गुटखे बाजार में भूचाल ला दिया है। ब्लैक करने वालों ने तीन दिनों के भीतर गुटखे को सही दाम से दोगुने रेट पर पहुंचा दिया है। फुटकर में एक रुपए का बिकने वाला गुटखा दो रुपए में बिक रहा है। राजस्थान और हरियाणा में गुटखे पर प्रतिबंध लग चुका है। अब अफवाह है कि दिल्ली में भी जल्द गुटखे पर बैन लगने वाला है। हालत यह है कि सेंसेक्स की तरह एक दिन में कई बार गुटखे के दाम में उछाल आ रहा है। सेंसेक्स में तो गिरावट भी दर्ज होती है पर गुटखे बाजार में तो गिरावट की बात तो दूर उछाल हो रहा है। एक दिन में कई बार दामों में बदलाव होने से गुटखा खाने वालों का सिर तम्बाकू के दाम सुनकर चकरा रहा है। हालांकि सादा पान मसाला अपने रेट पर कायम है। बाजार में एक अगस्त से गुटखे पर प्रतिबंध लगाने की बात आग की तरह फैली हुई है। पान बिकेता को एजेंसी से ही प्रिंटेड रेट से कहीं ज्यादा पैसे में गुटखा मिल रहा है जिसमें भी सुबह-शाम परिवर्तन हो रहा है। हालत यह है कि सेल्समैन से रात में गुटखा खरीदने पर कुछ तो सुबह उसी गुटखे का दाम कुछ हो जाता है। दामों के बढ़ने की वजह से खरीददार से भी खटपट होती है। उन्होंने बताया कि गुटखा एजेंसी ब्लैक करने में लगी हुई है। राजधानी में गुटखे बिक्री पर जल्द ही प्रतिबंध लग सकता है। दिल्ली सरकार आगामी कैबिनेट बैठक में इस संबंध में एक विधेयक लाने की तैयारी कर रही है। दरअसल दिल्ली में बिक रहे कई नामी कम्पनियों के गुटखे में निकोटिन पाया गया है। यह खुलासा दिल्ली के खाद्य अपमिश्रण विभाग ने एक जांच के बाद किया है। फूड एण्ड सेफ्टी एक्ट के मुताबिक बिना चेतावनी के निकोटिन युक्त पदार्थ बेचने पर दो लाख रुपए का जुर्माना या छह महीने से लेकर आजीवन कारावास हो सकता है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री अशोक वालिया ने बताया है कि जांच के दौरान गुटखे में निकोटिन पाया गया है। इन उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार एक विधेयक लाएगी। पिछले साल सितम्बर और अक्तूबर में विभिन्न इलाकों से गुटखे के छह सैम्पल एकत्रित किए गए थे। इनमें दिलबाग, संजोग, स्वागत और शिखर कम्पनियों के उत्पाद शामिल हैं। दिलबाग के दो उत्पाद लिए गए थे। इनमें से एक में 2.62 और दूसरे में 2.17 प्रतिशत निकोटिन पाया गया था। संयोग  से कम्पनी के उत्पाद में 1.41 प्रतिशत निकोटिन निकला। दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एण्ड रिसर्च के सेंटर प्रिंसिपल प्रो. एसएल अग्रवाल कहते हैं कि निकोटिनयुक्त पदार्थों के सेवन से ब्रेन स्टिम्यूलेट हो जाता है। डिप्रेशन आ सकता है। इसके अलावा शरीर में मौजूद गोगलीन ब्लॉक हो जाता है। इससे स्वचालित शारीरिक गतिविधियां मसलन दिल का धड़कना, सांस लेना जैसी क्रियाएं मंद पड़ जाती हैं। यह सही है कि गुटखा सेहत के लिए हानिकारक होता है पर शराब और सिगरेट पीना भी तो हानिकारक होता है। केवल कानून बनाने से इसकी बिक्री नहीं रोकी जा सकतती। करोड़ों-अरबों रुपए का उद्योग भी तो है जिससे सरकार को भी करोड़ों का फायदा होता है। फिर उपभोक्ता कह सकता है कि आपका फर्ज है यह बताना  कि यह हानिकारक है पर लेना या न लेना यह फैसला हम ही कर सकते हैं।

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