Friday 27 July 2012

अमरनाथ यात्रा को हर लिहाज से सुरक्षित बनाया जाए

Editorial Publish on 28 July 2012
-अनिल नरेन्द्र

यह बहुत संतोष की बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने अमरनाथ यात्रियों की मौतों पर असंतोष जताते हुए एक पैनल की नियुक्ति की है जिसका उद्देश्य होगा कि यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की बढ़ती मौतों की संख्या पर कैसे अंकुश लगाया जा सके? सरकारी आंकड़ों के अनुसार भी इस साल 98 से ज्यादा मौतें अमरनाथ यात्रा में हो चुकी हैं। गत दिनों भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल गृहमंत्री पी. चिदम्बरम से भी मिला। सुषमा स्वराज, अरुण जेटली के प्रतिनिधित्व में भाजपा ने एक ज्ञापन भी गृहमंत्री को सौंपा। अमरनाथ यात्रा की अवधि बढ़ाए जाने की मांग करते हुए भाजपा ने आरोप लगाया है कि इस बार वहां तीर्थ यात्रा के दौरान रिकार्ड संख्या में श्रद्धालुओं की मौत की मुख्य वजह जम्मू-कश्मीर सरकार का कुप्रबंधन और यात्रा का समय घटाना है। गृहमंत्री से मुलाकात करने के बाद सुषमा ने बताया कि उन्होंने यह मांग भी की है कि श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड में बाबा अमरनाथ में आस्था रखने वालों को ही स्थान दिया जाए। उन्होंने कहा कि अभी इस बोर्ड में 70 फीसद गैर हिन्दू हैं जो इस सिद्धांत के खिलाफ हैं कि किसी धर्म विशेष के आस्थास्थल संबंधी संचालन बोर्ड में केवल आस्था रखने वाले ही शामिल होने चाहिए। इस बार अमरनाथ यात्रा पर गए श्रद्धालुओं में से 98 की मौत हो चुकी है जो बहुत चिन्ता की बात है। उन्होंने कहा कि इस भयावह स्थिति की मुख्य वजह यह है कि बोर्ड ने न जाने किस कारण से इस बार यात्रा के दिनों को 60 से घटाकर 39 कर दिया है। एक ओर श्रद्धालुओं की संख्या बढ़कर आठ लाख हो गई है तो दूसरी ओर यात्रा की अवधि घटाकर 39 दिन किए जाने से यह भयावह स्थिति उत्पन्न हुई है। अमरनाथ यात्रा के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में `मानव समिति कतार व्यवस्था' बनाने से भी हालात बद से बदतर हुए हैं। इसके चलते ऊंची पहाड़ियों, भारी वर्षा और अत्यधिक सर्दी में श्रद्धालुओं को दो से पांच दिन तक कतार में खड़े रहना पड़ रहा है। चिकित्सकों का भी कहना है कि जलवायु अनुकूलन का अभाव, अधिक ऊंचाई से संबंधित बीमारियां, फर्जी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र और व्यवस्था गत विफलता मौतों में वृद्धि का कारण हो सकते हैं। जम्मू-कश्मीर सुपर स्पेशियलटी अस्पताल शेर-ए-कश्मीर चिकित्सा विज्ञान संस्थान में चिकित्सा विभाग के प्रमुख परवेज कौल ने कहा कि तीर्थयात्रियों की मौत में सम्भवत जो एक प्रमुख कारण योगदान कर रहा है, वह है स्थानीय जलवायु में अनुकूलता का अभाव। अधिक ऊंचाई पर यात्रा करने से पहले जलवायु अनुकूलन हर हाल में होना चाहिए। कौल ने कहा कि तीर्थयात्रा बालाटाल और पहलगाम से उठते हैं और बगैर किसी उचित जलवायु अनुकूलन के ऊंचाइयों पर चढ़ना शुरू कर देते हैं। अधिक ऊंचाई की बीमारियां तथा उससे संबंधित समस्याओं से बचने के लिए तीर्थयात्रियों के लिए जलवायु अनुकूलन अनिवार्य होना चाहिए। तीर्थयात्रियों के लिए चिकित्सा सुविधाओं और उनके ठहरने के शिविरों का भी भारी अभाव है। दर्शन करने वालों की सुविधा के लिए पहलगाम, चन्दनवाड़ी और बालाटाल में बुनियादी सुविधाओं से लैस स्थायी यात्रा गृह  बनाए जाएं जिनमें श्रद्धालुओं को ठहराने की क्षमता हो। इसके अलावा बालाटाल और जूनावार में 200 बिस्तरों वाले और यात्रा मार्ग में जगह-जगह चार-पांच अन्य छोटे अस्पताल खोलने होंगे। अमरनाथ यात्रा हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है जो जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा योगदान देती है। सुरक्षा की दृष्टि से भी खतरा रहता है। उम्मीद है कि अमरनाथ यात्रा को और सुरक्षित बनाने पर सरकार पूरा ध्यान देगी। हर-हर महादेव।


No comments:

Post a Comment